महात्मा गाँधी पर निबंध | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi : नमस्कार, इस Post में हम Mahatma Gandhi Essay in Hindi के बारे में जानने वाले हैं, वैसे तो महात्मा गांधी को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है लेकिन आज हम इस निबंध में Mahatma Gandhi Biography in Hindi पर थोड़ा प्रकाश डालने का प्रयास करेंगे।

जिससे महात्मा गांधी के बारे में उन लोगों को भी संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके जिन्होंने महात्मा गांधी को केवल भारतीय नोटों पर ही देखा है।

महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

महात्मा गांधी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारत देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करने के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया और अंतिम सांस तक अंग्रेजों से लड़े।

जब भी किसी स्वतंत्रता सेनानी को याद किया जाता है तो सबसे पहले महात्मा गांधी का नाम आता है महात्मा गांधी की छवि ऐसे ही भारतीय नोटों पर नहीं लगी है इसके पीछे महात्मा गांधी का संघर्ष और बलिदान छिपा हुआ है।

महात्मा गांधी ने भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करने के लिए अनेक प्रकार के आंदोलन किए जिसमें कुछ प्रमुख आंदोलन जैसे असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह आंदोलन, दलित आंदोलन, चंपारण सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन शामिल हैं इन सभी आंदोलन को चलाने का एकमात्र उद्देश्य यह था कि भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद किया जा सके।

महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे इसीलिए महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता और बापू के नाम से भी जाना जाता है। वह एक सरल और उच्च विचार वाले व्यक्ति थे।

महात्मा गांधी के जन्मदिन यानी गांधी जयंती को अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। महात्मा गांधी अपनी विचारधारा से पूरे समाज में एक अनोखा बदलाव लेकर आये और लोगों को सत्य को अपनाएं रखकर जीवन जीने का एक विशेष तरीका सिखाया।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

महात्मा गांधी ने लोगों को सत्य और अहिंसा की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। महात्मा गांधी ने सदैव अत्याचार पीड़ा और अपमान के खिलाफ आवाज उठाई उन्होंने कभी भी हिंसक होने का समर्थन नहीं किया।

स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता है आज अगर हम चैन की सांस ले रहे हैं तो यह सब महात्मा गांधी के प्रयास दृढ़ संकल्प और बलिदान की ही देन है। महात्मा गांधी के दृढ़ संकल्प ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

महात्मा गांधी का जीवन परिचय | Mahatma Gandhi biography in Hindi

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई था यह उनके पिता की चौथी पत्नी थी तथा महात्मा गांधी अपने पिता की चौथी पत्नी के अंतिम संतान थे। महात्मा गांधी की माता पुतलीबाई एक महान धार्मिक महिला थी।

महात्मा गांधी जब 13 वर्ष के हुए तभी उनके माता-पिता द्वारा उनका विवाह करवा दिया गया, महात्मा गांधी की पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था।

महात्मा गांधी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात से की और आगे की पढ़ाई के लिए वह लंदन चले गए जहां उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की उसके बाद महात्मा गांधी वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए।

महात्मा गांधी ने सन् 1891 में वकालत की पढ़ाई पूरी की और वे भारत लौट आए फिर उन्होंने मुंबई में रहकर अपना वकालत का काम शुरू किया लेकिन उन्हें इस कार्य में सफलता नहीं मिली।

फिर वह मुकदमे की पैरवी में दक्षिण अफ्रीका चले गए जहां उन्होंने भारतीयों के पक्ष में अंग्रेजों का डटकर विरोध किया और वह इस कार्य में सफल हुए इस सफलता का अनुभव लेकर महात्मा गांधी गोपाल कृष्ण गोखले के निवेदन पर भारत को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट आए।

इसके बाद उन्होंने अपने अनुभव से जो भी सीखा उससे लोगों को जागरूक कराने के लिए अपना जीवन मानव सेवा में समर्पित कर दिया।

महात्मा गांधी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत :

वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका गए। वहां पर उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा और उनके साथ अपमानजनक व्यवहार हुआ दक्षिण अफ्रीका में भारतीय और दूसरे काले रंग के लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था तथा उन्हें काफी परेशान भी किया जाता था।

महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठने नहीं दिया गया और उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया जबकि उनके पास ट्रेन के प्रथम श्रेणी की टिकट भी मौजूद थी केवल इतना ही नहीं उन्हें वहां के कई होटलों में भी नहीं जाने दिया तथा वहां घुसने से मना कर दिया गया।

यह रंगभेद गांधी जी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ उन्होंने अब राजनीति में जाने का निर्णय लिया जिस कारण वह भारतीयों और अन्य लोगों पर हो रहे रंगभेद को खत्म कर सकें।

रंगभेद को जड़ से मिटाने के लिए 6 नवंबर 1913 को महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीतियों के खिलाफ “द ग्रेट मार्च” का नेतृत्व किया।

इस मार्च में उनके साथ 57 बच्चे, 127 महिलाएं और 2037 पुरुष शामिल थे। लेकिन महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया यह मार्च सफल नहीं रहा और उन्हें तथा उनके समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया।

लेकिन महात्मा गांधी यहीं नहीं रुके, उन्होंने इसके खिलाफ फिर आवाज उठाई रंगभेद को लेकर यह संघर्ष दक्षिण अफ्रीका में 7 साल तक जारी रहा, महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय अल्पसंख्यकों के छोटे से समूह ने उनके साथ मिलकर जी जान से संघर्ष किया और सभी भारतीयों ने पूरे साहस के साथ सभी परेशानियों का सामना किया।

अंत में सभी भारतीयों की कड़ी मेहनत और संघर्ष के द्वारा भारतीय राहत विधेयक पास हुआ। फिर इसके बाद वहां के काले रंग के लोगों को भी वोट देने और अपने हक में बोलने का अधिकार प्राप्त हुआ इसके साथ ही उन्हें वह सभी अधिकार भी प्राप्त हुए जो वहां के श्वेत लोगों को थे।

महात्मा गांधी की भारत में वापसी :

ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय लोगों पर हो रहे अत्याचार को देखते हुए सन् 1915 महात्मा गांधी भारत वापिस आए। भारत लौटने के बाद वह Indian National Congress के president बने और ब्रिटिश सरकार के द्वारा हो रहे तानाशाह शासन का विरोध किया।

महात्मा गांधी ने भारत को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र कराने के लिए देशभर में कई बड़े आंदोलन चलाएं इसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

आजादी की लड़ाई में सत्य और अहिंसा महात्मा गांधी का प्रमुख हथियार था उनके द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार की जड़ें तक हिला डाली, उन्होंने अंग्रेजों का पुरजोर विरोध किया।

सन् 1942 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए कहा और भारत छोड़ो आंदोलन चलाया यह आंदोलन उनके द्वारा चलाए गए अन्य आंदोलनों से सबसे बड़ा आंदोलन रहा और यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के खात्मे का प्रमुख कारण भी बना!

इस आंदोलन के चलते महात्मा गांधी ने भारतीय लोगों को “करो या मरो” का नारा दिया जिसमे भारत के करोड़ों लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अपना सहयोग दिया।

महात्मा गांधी ने भारतीय लोगों से यह अपील की कि वह सत्य अहिंसा एवं शांति का मार्ग अपनाएं क्योंकि यह आपका सबसे बड़ा हथियार है और इन सब के द्वारा ही अंग्रेजों को भारत से निकाला जा सकता है।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी की भूमिका :

पूरे भारतीय राजनीतिक मंच 1919 से 1948 तक महात्मा गांधी इस प्रकार छाए रहे कि इस युग को भारतीय इतिहास का गांधी युग कहा जाता है। महात्मा गांधी का एक मंत्र था कि हिंसा के माध्यम से ही अहिंसा से बाहर निकला जा सकता है।

महात्मा गांधी श्री गोपाल कृष्ण गोखले के साथ इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो हुए थे। बिहार और गुजरात में चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन महात्मा गांधी की सबसे सफल उपलब्धियां थी।

महात्मा गांधी के द्वारा लिखी गयी किताबें :

महात्मा गांधी क्रांतिकारी होने के साथ-साथ एक लेखक भी थे उन्होंने अनेक पुस्तके लिखी जो इस प्रकार हैं—

  • गांधीजी ने अपनी आत्मकथा सत्य के प्रयोग लिखी।
  • दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह, हिंद स्वराज उनकी प्रमुख आत्मकथाओं में से एक हैं।
  • महात्मा गांधी की हिंदी व गुजराती में “हरिजन” तथा इंग्लिश में “यंग इंडिया” और गुजराती पत्रिका “नवजीवन” प्रमुख हैं।
  • महात्मा गांधी की हिंद स्वराज वर्ष 1909 में गुजराती भाषा में प्रकाशित हुई।

महात्मा गांधी पर बनी फिल्म :

वर्ष 1982 में महात्मा गांधी पर एक फिल्म बनी जिसमें बेन किंग्सले ने गांधी जी का रोल किया और यह फिल्म काफी प्रचलित भी रही जिस कारण इस फिल्म को ऑस्कर में बेस्ट पिक्चर का पुरस्कार मिला।

पुरस्कार :

  • वर्ष 1930 में टाइम मैगजीन ने महात्मा गांधी को मैन ऑफ द ईयर चुना।
  • टाइम मैगजीन ने वर्ष 2011 में गांधी जी को विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत रहे श्रेष्ठ 25 राजनीतिक व्यक्तियों में चुना।
  • भारत सरकार हर साल नेताओं सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों को गांधी शांति पुरस्कार से नवाजती है। नेल्सन मंडेला जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाई और कड़ा संघर्ष किया उन्हें भी इस पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

गांधी जी की मृत्यु :

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी। गोडसे ने महात्मा गांधी पर पाकिस्तान को पक्ष लेने का आरोप लगाया। नाथूराम गोडसे हिंदू राष्ट्रवादी और हिंदू महासभा का सदस्य था।

नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी के अहिंसावादी सिद्धांत का विरोधी था।

महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए आंदोलन :

महात्मा गांधी ने अहिंसा की विचारधारा का पालन करते हुए सभी आंदोलन चलाए। महात्मा गांधी ने जब देखा कि अंग्रेजों की तानाशाही भारत में बढ़ते जा रही है तब उन्होंने भारत में आते ही उनके खिलाफ अहिंसा वादी आंदोलन शुरू किए।

महात्मा गांधी ने केवल एक ही नहीं बल्कि अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचार को रोकने के लिए उन्होंने कई आंदोलन शुरू किए और उनके खिलाफ आवाज उठाई इसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा लेकिन वह रुकने वालों में से नहीं थे उन्होंने हार नहीं मानी और अपने देशवासियों के लिए हमेशा लड़ते रहे।

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन Champaran Satyagraha Movement

यह अंग्रेजो के विरुद्ध गांधी जी द्वारा चलाया गया पहला आंदोलन था बिहार के चंपारण जिले में किसानों के ऊपर अंग्रेजों का अत्याचार बढ़ता ही जा रहा था अंग्रेजों ने गरीब किसानों की जमीनों पर जबरन कब्जा कर लिया था।

अंग्रेज किसानों को नील की फसल उगाने पर मजबूर करते थे और जब फसल तैयार हो जाती थी तो वह किसानों को उसकी पूरी कीमत नहीं देते थे और जब कोई किसान उनसे इस बारे में बात करता तो वह उन्हें डराते और धमकाते थे इसी समस्या को देखते हुए सभी किसानों ने एकत्रित होकर चर्चा की और महात्मा गांधी को पत्र लिखा।

फिर महात्मा गांधी वहां पहुंचे और किसानों की बातें सुनी उसके बाद महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 में बिहार के चंपारण जिले में आंदोलन शुरू किया।

गांधी जी द्वारा चलाया गया यह आंदोलन सफल रहा और अंग्रेजों ने गांधीजी के आगे घुटने टेक दिए और किसानों को उनकी मेहनत की 25 फ़ीसदी धनराशि वापस कर दी।

खेड़ा आंदोलन | Kheda Movement

खेड़ा आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा गुजरात के खेड़ा नामक गांव में वर्ष 1918 में किसानों के लिए ही चलाया गया।

इस आंदोलन को चलाने का मुख्य कारण यह था कि उस समय वहां अत्यधिक बाढ़ आई थी जिसकी वजह से वहां के किसानों की फसलें तबाह हो गई जिसके कारण किसानों को खाने के लिए अनाज भी नहीं बचा था।

इन सब के बावजूद भी अंग्रेज किसानों से कर वसूल रहे थे लेकिन किसानों के पास देने के लिए कुछ भी नहीं बचा था अंग्रेजों द्वारा किसानों पर हो रहे इस अत्याचार को देखते हुए गांधी जी ने उनके खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की।

महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया यह आंदोलन भी सफल रहा और इसके परिणाम स्वरूप अंग्रेजों को किसानों का कर्ज माफ करना पड़ा।

इस आंदोलन की सफलता के बाद सभी किसान काफी प्रसन्न हुए और गांधीजी के प्रति उनका सम्मान और प्रबल हो गया।

असहयोग आंदोलन | Non-Cooperation Movement

गांधी जी द्वारा चलाया गया यह आंदोलन काफी सुर्खियों में रहा। 13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने पंजाब के जलियांवाला बाग में निर्दोष लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया जिसके परिणाम स्वरूप सैकड़ों बेकसूर लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी।

अंग्रेजों के इस क्रूर और निर्दयता पूर्ण व्यवहार को देखते हुए महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की जिसमें उनका मुख्य उद्देश्य था अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालना क्योंकि अब अंग्रेजों का अत्याचार इतना बढ़ चुका था कि अब चुप रहकर नहीं बैठा जा सकता था।

गांधी जी द्वारा चलाए गए इस आंदोलन में सभी भारतीयों ने उनका पूरा समर्थन किया और वह पूर्ण रूप से उनके साथ थे अब उन्होंने ठान लिया था कि अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालना ही पड़ेगा।

असहयोग आंदोलन केेे चलते विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया तथा स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करना शुरु कर दिया गया।

सरकारी स्कूलों तथा न्यायालयों का बहिष्कार किया गया तथा 1919 ईस्वी के अधिनियम के अंतर्गत होने वाले चुनावों का भी बहिष्कार किया गया और स्थानीय संस्थाओं में मनोनीत सदस्यों द्वारा त्यागपत्र दे दिया गया।

सभी लोग खद्दर एवं सूती वस्त्रों को पहनने लगे और विदेशी पहनावे का बहिष्कार किया।

महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया यह आंदोलन अपने उद्देश्य में असफल रहा क्योंकि गांधी जी के खिलाफत आंदोलन में भाग लेने के कारण कुछ लोग गांधीजी के खिलाफ हो गए और उन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लेने से मना कर दिया।

फरवरी 1922 में किसानों के एक समूह ने संयुक्त प्रांत के चोरी चोरा पुरवा में एक पुलिस स्टेशन पर आक्रमण किया और उसमें आग लगा दी यह देख कर गांधीजी काफी निराश हुए और उन्होंने यह आंदोलन तुरंत वापस ले लिया।

यह आंदोलन अपने उद्देश्य में असफल जरूर रहा लेकिन फिर भी यह अन्य दिशाओं में मील का पत्थर साबित हुआ।

इस आंदोलन के लिए महात्मा गांधी को 6 वर्ष की जेल भी हुई।

सविनय अवज्ञा आंदोलन | Civil Disobedience Movement

महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को अपने 78 अनुयायियों के साथ डांडी नामक स्थान के लिए पदयात्रा की शुरुआत की, रास्ते में उनका जन समूह द्वारा अद्भुत स्वागत किया गया और महात्मा गांधी के उद्देश्यों से प्रभावित होकर अनेकों लोग कांग्रेस के सदस्य बन गए एवं सरकारी कर्मचारी अपना त्यागपत्र देने लगे।

6 अप्रैल 1930 को सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया गया इसमें कुछ प्रमुख बातें थी जिनका पालन किया जाना था—

सरकार को करना दिया जाए।

गांव-गांव में नमक कानून तोड़ा जाए।

महिलाएं शराब एवं विदेशी वस्तुओं की दुकानों का घेराव करें।

सभी छात्र सरकारी विद्यालयों एवं सभी कर्मचारी अपना दफ्तर छोड़ दें।

विदेशी वस्त्रों का पहनावा तत्काल बंद किया जाए और उन्हें जलाया जाए।

यह आंदोलन धीरे-धीरे एक महान आंदोलन बन गया तथा इसके पश्चात सभी शराब की दुकानों का घेराव किया गया तथा उनका बहिष्कार भी किया गया। महात्मा गांधी ने यह कार्य महिलाओं को सौंपा था।

सभी छात्रों ने विद्यालयों एवं कॉलेजों का बहिष्कार कर के आंदोलन को एक अच्छी दिशा दी और इस आंदोलन को सशक्त बनाया।

विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जाने लगा जिससे देसी वस्त्र उद्योग को बहुत प्रोत्साहन मिला।

इस आंदोलन ने एक विशाल रूप ले लिया पुलिस द्वारा गोली चलाना और लाठी चार्ज करना एक आम बात हो गई क्योंकि यह सब लोगों को रोज ही सहना पड़ रहा था। 25 अप्रैल 1930 को चंद्रसिंह गढ़वाली के नेतृत्व में निहत्थी जनता पर गोली चलाने पर सेना ने साफ मना कर दिया।

जिसके परिणाम स्वरूप सिपाहियों को कठोर सजाएं दी गई लेकिन इन सिपाहियों ने देश प्रेम एवं अहिंसा की अनूठी मिसाल कायम की और आंदोलन को और भी ज्यादा तीव्र कर दिया। इस आंदोलन ने वहां की सरकार को परेशानी में डाल दिया।

भारत छोड़ो आंदोलन | Quit India Movement

महात्मा गांधी द्वारा इस आंदोलन को चलाने का मुख्य उद्देश्य था कि भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराया जा सके।

महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत 8 अगस्त 1942 को की इस आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने कांग्रेस की मुंबई अधिवेशन की बैठक में शुरू की।

उस समय दूसरा विश्वयद्ध चल रहा था और ब्रिटिश सरकार अन्य देशों के साथ युद्ध करने में व्यस्त थी। अंग्रेजों ने भारतीयों को इस युद्ध में शामिल होने के लिए कहा लेकिन भारतीय लोगों ने इसके लिए साफ मना कर दिया।

फिर भारत छोड़ो आंदोलन को सभी भारतीयों ने मिलकर आगे बढ़ाया और एकजुट होकर सफलता तक पहुंचाया। भारत छोड़ो आंदोलन के चलते ही 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को आजादी मिली और अंग्रेजों ने महात्मा गांधी के आगे घुटने टेक दिए।

इसमें महात्मा गांधी की सबसे बड़ी भूमिका रही और उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि भी दी गई ऐसा कहा जाता है कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि रविंद्र नाथ टैगोर ने दी।

निष्कर्ष :

महात्मा गांधी केवल एक नेता ही नहीं वह एक संत भी थे वह एक पवित्र निस्वार्थ और उच्च विचारों वाले धार्मिक व्यक्ति थे। उनके मूल मंत्र थे सत्य और अहिंसा जिसे अपनाकर उन्होंने भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराया।

महात्मा गांधी ने बिना बल प्रयोग किए शांतिपूर्ण तरीके से और अहिंसा का मार्ग अपनाकर अनेक आंदोलनों को सफल बनाया और लोगों को यह सीख दी कि अगर आप सच्चे हैं और सही मार्ग पर चल रहे हैं तो कोई भी बाधा आपके मार्ग में विघ्न नहीं डाल सकती।

महात्मा गांधी सदैव खादी वस्त्र ही पहनते थे वह भारत से गरीबी और सामाजिक बुराइयों को निकालना चाहते थे आज सारा विश्व उनका सम्मान करता है तथा सभी लोग उनके आदर्शों पर चलने का प्रयत्न करते हैं।

महात्मा गाँधी का जीवन परिचय कम शब्दों में | Mahatma Gandhi biography in Hindi

महात्मा गाँधी का पूरा नाममोहनदास करमचंद गाँधी
पिता का नामकरमचंद गांधी
माता का नामपुतलीबाई
पत्नी का नामकस्तूरबा गांधी
महात्मा गाँधी का जन्म2 अक्टूबर, 1869
महात्मा गाँधी की संतानहरिलाल, मनिलाल, रामदास और देवदास
योगदानभारत की स्वतंत्रता, अहिंसक आंदोलन, सत्याग्रह
महात्मा गाँधी की मृत्यु30 जनवरी, 1948
मृत्यु स्थाननई दिल्ली

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