सीखने की कोई उम्र नहीं होती | Hindi Story with Moral

Hindi Story with Moral : तिलकनगर नाम का एक गांव था उस गांव में मुकेश नाम के एक व्यक्ति रहता था। मुकेश अपनी पत्नी विमला और अपने दो  बच्चों राधा और रमन के साथ रहता था।

विमला और मुकेश दोनों अनपढ़ थे पर दोनों चाहते थे कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर बड़े इंसान बने। एक दिन विमला अपनी बेटी राधा से कहती है बेटा आज मैं टीचर जी से मिलने गई थी टीचर जी कह रही थी राधा गणित में बहुत ही कमजोर है और उसे गणित पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

यह सुनकर राधा ने अपनी मां से कहा- मां टीचर तो कुछ भी बोलती है गणित कितना मुश्किल होता है जैसे वह सिखाती है वैसे ही मैं पेपर में लिख कर आती हूं फिर भी टीचर गलत ही कर देती है।

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तभी विमला हंसती है और कहती है तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे तुम्हें ही सारी गणित आती है और टीचर को कुछ भी नहीं आता। इस पर राधा कहती है, हां टीचर को भी नहीं आता और आपको भी नहीं आता आप भी तो अनपढ़ हो तो भला मैं गणित कहां से सीख लुंगी।

राधा की यह बात सुनकर विमला का चेहरा उतर गया तभी वहां मुकेश आ जाता है और वह राधा से कहता राधा यह कैसा तरीका है अपनी मां से बात करने का चलो माफी मांगो अपनी मां से। यह सुनकर राधा अपनी मां से माफी मांगती है और कहती है मां मुझे माफ कर दो आगे से कभी ऐसा नहीं कहूंगी, विमला कहती है कोई बात नहीं ठीक है विमला ने ठीक है तो बोल दिया लेकिन वह अनपढ़ है यह बात उसे हमेशा सताते रहती थी।

वह बहुत उदास थी विमला को उदास देखकर मुकेश कहता है क्या हुआ विमला राधा की बात सोचकर परेशान हो क्या, विमला कहती है राधा की बात से परेशान नहीं हूं अपने अनपढ़ होने की बात सोच कर परेशान हूं काश मुझे भी मौका मिलता पढ़ाई करने का तो आज मैं भी पढ़ लिख पाती और अपने बच्चों को भी अच्छे से पढ़ा पाती। यह सुनकर मुकेश कहता है तुम परेशान क्यों होती हो इसमें तुम्हारी गलती थोड़ी ना है विमला हम दोनों को तो पढ़ने का मौका ही नहीं मिला परिवार की जिम्मेदारी जो थी।

चलो हम अपने दोनों बच्चों को तो पढ़ा रहे हैं जो हम दोनों का सपना और साथ ही अपना सपना जरूर पूरा करेंगे, विमला कहती है हां हम उन्हें खूब पढ़ाएंगे मुकेश कहता है ठीक है अब ज्यादा मत सोचो और सो जाओ कल खेतों में बहुत काम है और तुम्हें मेरी मदद भी करनी है विमला कहती है जी ठीक है विमला यही सोचते-सोचते सो गयी।

अगले दिन सुबह विमला ने दोनों बच्चों को स्कूल के लिए तैयार किया और खुद खेतों में जाने के लिए तैयार हो गई विमला ने बच्चों को स्कूल छोड़ा तभी उसका ध्यान स्कूल के बगल वाली बिल्डिंग पर गया वहां कई लोग किताबें लेकर अंदर जा रहे थे विमला सोच रही थी कि यह लोग कहां जा रहे हैं तभी उसने उस बिल्डिंग में जाती हुई एक महिला से पूछा यह आप सब कहां जा रहे हैं तो उस महिला ने जवाब दिया हम सभी स्कूल में जा रहे हैं विमला ने कहा क्या आप टीचर हैं तो उस महिला ने जवाब दिया नहीं नहीं हम छात्र हैं इस बिल्डिंग में फ्री शिक्षा दी जाती है जो लोग बचपन में स्कूल जाकर नहीं पढ़ पाए थे उन लोगों को इस स्कूल में शिक्षा दी जाती है जो एक सरकारी योजना है और बिल्कुल मुफ्त है।

यह सुनकर विमला कहती है मतलब कि बड़े लोगों का स्कूल। विमला हैरान थी वह तो सोचती थी कि सिर्फ बच्चों का स्कूल होता है लेकिन यहाँ तो बड़ों का भी स्कूल है वह उस स्कूल के अंदर जाती है और वहां उसने टीचर से बात करि और फिर खेतों में चले गयी।

वहां जाकर विमला ने मुकेश से कहा अब मैं भी स्कूल जाऊंगी और पढ़ूंगी, विमला की यह बात सुनकर मुकेश हंसने लगा और बोला अरे इस उम्र में स्कूल जाओगी पागल हो गई हो क्या? विमला कहती है बच्चों के स्कूल नहीं बड़ों के स्कूल! मुकेश हैरानी से कहता है क्या बड़ों का स्कूल!

विमला ने मुकेश को परोध स्कूल की शिक्षा के बारे में बताया मुकेश ने कहा क्या वह हम बड़े लोगों को पढ़ाएंगे और वह भी मुफ्त में? विमला ने जवाब देते हुए कहा हां बस रोज सुबह 2 घंटे की स्कूल है यह सुनकर मुकेश खुशी से कहता है विमला लगता है भगवान ने तुम्हारी सुन ली, तुम कल ही तो पढ़ाई करने के मौके की बारे में बात कर रही थी और आज तुम्हें मौका मिल गया क्या बात है,

विमला कहती है लेकिन आप इतनी जल्दी यह बात राधा और रमन को मत बताइएगा मैं उन दोनों को बाद में बताऊंगी मुकेश कहता है ठीक है जैसा तुम कहो विमला बहुत खुश थी कि वह अब पढ़ने वाली है पूरा दिन खत्म हुआ और विमला खुशी-खुशी सो गई अगली सुबह विमला जल्दी उठी उसने सुबह ही सारा खाना पका लिया बच्चों को भी टिफिन दे दिया और बच्चों को स्कूल छोड़कर विमला अपने स्कूल गई।

टीचर ने विमला को पढ़ाना शुरू किया विमला नई थी इसलिए टीचर उसे शुरुआत से सिखा रही थी टीचर ने विमला को अ  और आ  लिखना सिखाया विमला उत्साह के साथ लिखना सीखने लगी और जब स्कूल की छुट्टी हुई तो वह खेतों में चले गए और वहां मुकेश को बताने लगी आज टीचर ने मुझे अ और आ लिखना सिखाया बहुत आसान है मुकेश ने भी खुशी से कहा यह तो बहुत अच्छी बात है अब तू बहुत जल्दी ही पढ़ना लिखना सीख जाएगी।

विमला ने भी कहा हां यह तो बहुत अच्छा होगा फिर दोनों ने जल्दी-जल्दी खेतों का सारा काम किया और साथ में खाना खाया यह सिलसिला चलता रहा विमला रोज बच्चों को स्कूल छोड़ने जाती और फिर खुद के स्कूल जाती और फिर खेतों में जाती।

ऐसे ही कई महीने बीत गए अब विमला को लिखना पढ़ना आने लगा वह गणित भी सीख रही थी एक दिन शाम को राधा पढ़ाई कर रही थी राधा अपनी मां को एक खत देती है और कहती है यह पिकनिक का फॉर्म है टीचर ने कहा था कि इस पर अपनी माता या पिता के हस्ताक्षर करा कर लाना और आपको तो हस्ताक्षर करना आता नहीं आप अंगूठा ही लगा दीजिए उस वक्त घर में सभी लोग मौजूद थे राधा विमला के पास गई और कहती है यह लो मां स्याही,, इसमें अंगूठा डालो।

विमला ने पास पड़ी पेन उठा ली और उससे कागज पर हस्ताक्षर कर दिया यह देखकर राधा की आंखें फटी की फटी रह गई और रमन कहता है मां तुम्हें यह हस्ताक्षर करना कैसे आया राधा कहती है तुम तो अनपढ़ हो ना.. विमला कहती है अनपढ़ हूं नहीं अनपढ़ थी अब मैं भी स्कूल जाती हूं पढ़ने और मुझे भी लिखना पढ़ना आता है और अब गणित भी आता है राधा और रमन दोनों हैरान थे पर मुकेश और विमला बहुत ही खुश थे विमला को पढ़ना था और उसका यह सपना पूरा हो गया।

अब कोई उसे अनपढ़ नहीं कह सकता था उसके बच्चे भी उसका मजाक नहीं उड़ा सकते थे मुकेश कहता है अब अपनी मां को अनपढ़ होने का कभी ताना मत मारना समझे बच्चों अब तुम्हारी मां भी एक पढ़ी-लिखी औरत है घर में विमला की अहमियत बढ़ गई क्योंकि अब वह पढ़ी लिखी थी और अब बच्चे चाह कर भी अपनी मां को उल्टा नहीं बोल सकते थे।

अब भी विमला बच्चों को स्कूल छोड़कर रोज अपने स्कूल जाती थी आगे की पढ़ाई खत्म करने के लिए 30 साल की उम्र में विमला ने दसवीं की परीक्षा दी और वह पास भी हो गई.. सही कहते हैं लोग पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती अगर इंसान कोशिश करें तो वह कभी भी पड़ सकता है।

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