First World War in Hindi : पहले विश्वयुद्ध ने दुनिया को हिला कर रख दिया पहले विश्वयुद्ध में दुनिया के सैकड़ों देशों ने हिस्सा लिया। प्रथम विश्व युद्ध अपरिहार्य या आकस्मिक नहीं था, बल्कि मानवीय कार्यों और निर्णयों के परिणामस्वरूप शुरू हुआ था।
दुनिया में हो रहे ज्यादातर युद्धों से खुद को दूर रखने वाला भारत ब्रिटिश नियमों के अधीन था इसलिए भारतीय सैनिकों ने भी ब्रिटेन की तरफ से इस युद्ध में हिस्सा लिया।
विश्वयुद्ध के बारे में | About First World War in Hindi :
1914 और 1918 के बीच 30 से अधिक राष्ट्रों ने इस युद्ध की घोषणा की। सर्बिया, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित मित्र राष्ट्र इसके पक्ष में शामिल हुए।
जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, बुल्गारिया और तुर्क साम्राज्य ने उनका विरोध किया, जिन्होंने मिलकर केंद्रीय शक्तियों का गठन किया। दक्षिण-पूर्व यूरोप में अपेक्षाकृत छोटे संघर्ष के रूप में जो शुरू हुआ वह यूरोपीय साम्राज्यों के बीच युद्ध बन गया।
प्रथम विश्व युद्ध यूरोप में होने वाला सबसे बड़ा युद्ध था ये विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 से 11 नवम्बर 1918 तक चला। ये विश्वयुद्ध इतिहास का सबसे घातक युद्ध था।
युद्ध में ब्रिटेन और उसके साम्राज्य के प्रवेश ने इसे भौगोलिक पैमाने पर लड़े गए एक वास्तविक वैश्विक संघर्ष को पहले कभी नहीं देखा था। लड़ाई केवल पश्चिमी मोर्चे पर ही नहीं हुई, बल्कि पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी यूरोप, अफ्रीका और मध्य पूर्व में भी हुई।
ब्रिटेन में युद्ध सामग्री निर्माण में शुरुआती विफलताओं के कारण युद्ध उत्पादन में पूर्ण रूप से सरकारी हस्तक्षेप हुआ। उन्होंने 1918 तक इस उद्योग में लगभग 4 मिलियन राइफल, 250,000 मशीनगन, 52,000 हवाई जहाज, 2,800 टैंक और 170 मिलियन से अधिक तोपखाने के गोले बनाने में मदद की।
इस विश्व युद्ध में काफी भयंकर तबाही हुई, दुनियाभर में 1 करोड़ 70 लाख लोग मारे गये जिनमें 60 लाख आम नागरिक थे और अनगिनत लोग शारीरिक और मानसिक रूप से घायल हो गए। युद्ध ने हमेशा के लिए दुनिया के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को भी बदलकर रख दिया।
इसने लिंग और वर्ग के प्रति दृष्टिकोण में परिवर्तन को गति दी और रूसी ऑस्ट्रो-हंगेरियन और ओटोमन साम्राज्यों के पतन का कारण बना। इस युद्ध को छेड़ने की कुल लागत और बाद में पुनर्निर्माण की विजयी यूरोपीय सहयोगियों और पराजित केंद्रीय शक्तियों दोनों की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को तबाह कर दिया।
ब्रिटेन के लिए प्रथम विश्व युद्ध की मानवीय लागत ने स्मरण की एक नई भाषा का निर्माण देखा जो आज भी बनी हुई है। इसे शहरों, कस्बों, स्कूलों, पूजा स्थलों और कार्यस्थलों में युद्ध स्मारकों के साथ-साथ रविवार और प्रत्येक 11 नवंबर को सुबह 11 बजे दो मिनट के मौन जैसे अनुष्ठानों में देखा जा सकता है।
विश्वयुद्ध के कारण | Causes of First World War in Hindi :
28 जून 1914 का समय था इसी दिन बोस्निया के सर्ब यूगोस्लाव राष्ट्रवादी गैवरिलो प्रिंसिप ने साराजेवो में ऑस्ट्रो-हंगेरियन वारिस आर्चड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या कर दी।
इस युद्ध का केवल यही एक कारण नहीं था बल्कि इसके और भी कई कारण थे तो चलिए इनके बारे में एक – एक करके जानते हैं।
गुप्त संधियाँ :
यूरोप में काफी बड़ी-बड़ी ऐसी शक्तियां थी जो खुद को ताकतवर बनाने के लिए दूसरी बड़ी शक्तियों के साथ गठबंधन बनाने में लगी थी ताकि अगर उनका किसी से युद्ध होता है तो वह साथ मिलकर लड़े और अपने दुश्मन को हरा सके, इन शक्तियों के द्वारा बनाए गए गठबंधन कुछ इस प्रकार थे-
- Triple Alliance
- Triple Entente
- Balkans
जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रिया हंग्री यह सभी देश Triple Alliance में शामिल थे और इसके साथ ही ब्रिटेन फ्रांस और रूस ने मिलकर Triple Entente बनाया।
जर्मनी द्वारा बनाई गई विस्तार वादी नीति :
वर्ष 1890 में जर्मनी के सम्राट विल्हेम दितीय ने एक अंतरराष्ट्रीय नीति की शुरुआत की जिसके अंतर्गत जर्मनी को विश्व शक्ति के रूप में परिवर्तित करने के प्रयास किए गए, जर्मनी को आगे बढ़ते हुए देख अन्य देश इसे एक उभरते हुए खतरे के रूप में देखने लगे।
सैन्यवाद :
अफ्रीका और एशिया के बीच कच्चे माल की उपयोगिता को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हो गए बढ़ती प्रतिस्पर्धा और साम्राज्य के विस्तार ने दुनिया के अनेक देशों के बीच मतभेदों को जन्म दिया जिसने पूरे विश्व को प्रथम विश्व युद्ध की ओर धकेल दिया।
राष्ट्रवाद :
बाल्कन क्षेत्र में राष्ट्रवाद को बहुत अधिक महत्व दिया जाता था क्योंकि उस समय बाल्कन क्षेत्र तुर्की साम्राज्य के अंतर्गत आता था जर्मनी और इटली का एकीकरण भी राष्ट्रवाद के आधार पर ही किया गया था यही कारण था कि जब तुर्की साम्राज्य की स्थिति थोड़ी कमजोर होने लगी तो बाल्कन क्षेत्र ने तुर्की से अपनी स्वतंत्रता की मांग करनी शुरू कर दी।
प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम :
प्रथम विश्वयुद्ध ने धीरे धीरे एक विकराल रूप ले लिया कुछ ही समय के अंदर जर्मनी ऑस्ट्रीया-हंग्री और ऑटोमन एंपायर की करारी हार हुई इस लड़ाई के बाद ऑस्ट्रीया-हंग्री अंपायर के बहुत से अलग-अलग टुकड़े कर दिए गए जिसके परिणाम स्वरूप ऑस्ट्रीया और हंग्री अलग-अलग देश बन गए।
इस युद्ध ने संपूर्ण विश्व की आर्थिक राजनीतिक एवं सामाजिक दिशा को बदल दिया।
राजनीतिक परिणामों ने संपूर्ण विश्व की व्यवस्था ही बदल कर रख दी इसमें राजतंत्र सरकारों का पतन, राष्ट्रीयता की भावना का विकास, अंतरराष्ट्रीय ताकि भावना का विकास, अमेरिका का उदय, जापान का उत्कर्ष यह सभी परिणाम शामिल थे।
आर्थिक परिणाम की बात करें तो प्रथम विश्वयुद्ध ने सभी राष्ट्रों को एक भारी आर्थिक क्षति पहुंचाई जिसमें प्रत्यक्ष रूप से लगभग 10 खरब रुपए का व्यय हुआ।
इसके चलते जनता पर विभिन्न प्रकार के कर का भार दे दिया गया और साथ ही बेरोजगारी एवं राष्ट्रीय ऋण भार एक बहुत बड़ी समस्या बनी।
प्रथम विश्वयुद्ध का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव जर्मनी को पड़ा जर्मनी के साथ Versailles संधि की गई जिसके परिणाम स्वरूप जर्मनी के 10% हिस्से को उससे छीन लिया गया और उस पर भारी जुर्माना लगाया गया उसके सभी उपनिवेश छीन लिए गए साथ ही जर्मनी की सैन्य शक्तियों को भी लगभग समाप्त कर दिया गया जर्मनी अब सिर्फ 1,00000 सैनिक ही अपने पास रख सकता था जो जर्मनी के लिए एक बहुत बड़ी परेशानी सिद्ध हुई।
युद्ध में मृत व घायल सैनिकों की संख्या :
स्थान | मृत की संख्या | घायलों की संख्या |
जर्मनी | 1,773,700 | 4,216,058 |
रूस | 1,700,000 | 4,950,000 |
फ्रांस | 1,357,800 | 4,266,000 |
ऑस्ट्रिया-हंगरी | 1,200,000 | 3,620,000 |
ग्रेट ब्रिटेन | 908,371 | 2,090,212 |
इटली | 650,000 | 947,000 |
तुर्क साम्राज्य (तुर्की) | 325,000 | 400,000 |
रोमानिया | 335,706 | 120,000 |
अमेरिका | 116,516 | 204,002 |
बुल्गारिया | 87,500 | 152,390 |
सर्बिया | 45,000 | 133,148 |
बेल्जियम | 13,716 | 44,686 |
ग्रीस | 5,000 | 21,000 |
मोंटेनेग्रो | 3,000 | 10,000 |
जापान | 300 | 907 |
Good information
धन्यवाद Ravish जी, हमें जानकार अच्छा लगा की आपको हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी पसंद आई।