गरीब की बद्दुआ | Hindi Story

नमस्कार, आज हम आपको एक ऐसी Hindi Story के बारे में बताने वाले हैं जिसे पढ़कर आपको बहूत कुछ सीखने को मिलेगा! चलिए इस Hindi Story की शुरुवात करते हैं।

बहुत समय पहले की बात है, एक राज्य में गोपाल और बाली नाम के दो राजकुमार रहते थे। दोनों ही पहलवानों की तरह हट्टे-कट्टे थे उस पूरे राज्य में किसी में भी इतना साहस नहीं था कि उन दोनों भाइयों से मुकाबला कर सके।

अपनी ताकत पर उन दोनों भाइयों को बहुत गर्व और घमंड था एक दिन राजकुमार गोपाल मंत्री से कहता है “मंत्री जी बहुत दिन हो गए किसी की हड्डी पसली एक करने का मौका नहीं मिला आप नगर में जाइए और किसी चोर उचक्के को पकड़ कर ले आइए”।

राजकुमार की बात सुनते ही मंत्री बाजार में जाता है और इधर-उधर देखने लगता है कुछ समय बाद वह देखता है एक फलों की दुकान पर बहुत भीड़ लगी है दुकानदार ग्राहकों को फल देने में व्यस्त है और पीछे से एक चोर फलों को चुरा रहा है

मंत्री ने तुरंत जाकर उस चोर को पकड़ लिया और दोनों भाइयों के सामने पेश किया चोर को देखकर बाली कहता है मंत्री जी यह किसे से पकड़ लाए इसे पीटने में तो कुछ मजा ही नहीं आएगा और वह जोर-जोर से हंसने लगा यह सुनकर चोर कहता है,

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मुझे माफ कर दीजिए मालिक मेरे बीवी और बच्चे भूखे हैं मैं उन्हीं के लिए चोरी कर रहा था आगे से मैं कभी चोरी नहीं करूंगा चोर की बात सुनकर राजकुमार कहता है हमारे राज्य में माफी नहीं केवल दंड मिलता है इतना कहते ही दोनों भाइयों ने मिलकर चोर को बहुत मारा!

इसी तरह जब भी दोनों भाइयों का लड़ने का मन होता तो वह राज्य से किसी भी पहलवान को उसके घर से उठवा लेते।
दोनों भाइयों के ताकत का राज उनके बगीचे में लगा एक पपीते का पेड़ था जिस पर काले पपीते लगते थे!

एक दिन दोनों भाई आपस में बातें कर रहे थे “भाई क्या बगीचे में लगे काले पपीते को खाकर कोई भी हमारी तरह ताकतवर बन सकता है” तभी उसका दूसरा भाई जवाब देता है हां बन तो सकता है लेकिन हम इतने भी बेवकूफ नहीं कि किसी को इस पेड़ का पपीता खाने दें।

1 दिन गोपाल और बाली कसरत करने बगीचे में आए उन्हें बहुत जोरों की भूख लग रही थी तभी बाली कहता है भाई मुझे बहुत जोर से भूख लग रही है जल्दी से अपने और मेरे लिए एक एक पपीता तोड़ लो अब दोनों भाई पपीता तोड़कर खा रहे थे

तभी वहां एक पतला-दुबला फकीरा आ गया और कहने लगा राजकुमार मैं कई दिनों से भूखा हूं क्या आप एक पपीता मुझे खाने को दे देंगे उसकी बात सुनकर राजकुमार कहता है “निकल जाओ, निकल जाओ यहां से यह हमारे खाने का समय है और खाते समय हम किसी से बात करना पसंद नहीं करते”

यह सुनकर फ़कीर कहता है “राजकुमार अगर कुछ खाने को नहीं है तो कम से कम एक गिलास पानी ही पिला दीजिए” तभी दूसरा राजकुमार कहता है लगता है तुम्हारे समझ में ऐसे नहीं आएगा तुम बिना पिटाई खाए नहीं मानोगे दोनों भाइयों ने फकीर को लात मारकर भगा दिया।

दोनों राजकुमारों के इस व्यवहार से फकीर ने दोनों से कहा हे घमंडी राजकुमारों जिस पपीते को खाकर तुम इतने ताकतवर बने हो वही तुम्हें शक्तिहीन कर देगा। और यह कहकर वो फ़क़ीर वहां से चला गया!

फिर अगले दिन जब राजकुमारों ने पपीता खाया तो अचानक वह भारहीन हो गए।
दोनों भाई आपस में बातें करने लगे भाई तुम्हें कुछ अजीब सा नहीं लग रहा गोपाल ने कहा हां भाई मुझे भी ऐसा लग रहा है जैसे हम बहुत हल्के हो गए हैं इतना कहकर वह दोनों आगे बढ़े और चलने लगे तभी चलते चलते वह हवा में उड़ने लगे।

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यह देखकर देखकर बाली कहने लगा यह जरूर उस फकीर के श्राप के कारण हुआ है जो कल हमारे पास आया था हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई बाली की बात सुनकर गोपाल ने कहा तो भाई अब हमें क्या करना चाहिए बाली बोला हमें उस फकीर को ढूंढना होगा।

वही हमें पहले जैसा बना सकता है दोनों भाई घोड़ों पर बैठकर फकीर को ढूंढते हुए मंदिर पहुंचे मंदिर में बहुत सारे फकीर मौजूद थे लेकिन वह फकीर कहीं नजर नहीं आ रहा था जिसने दोनों भाइयों को श्राप दिया था मंदिर पहुंचकर बल्ली दूसरे फकीरों से पूछने लगा

“सुनो क्या तुमने उस फकीर को देखा है जिसके माथे पर लंबा सा निशान है तभी एक फकीर ने जवाब दिया। लगता है आप नागासेन को ढूंढ रहे हैं नागसेन कल ही राज्य छोड़कर जा चुका है वह आपको पड़ोसी राज्य में मिलेगा बाली और गोपाल नागासेन को ढूंढने निकल पड़े वह पहली बार अपने राज्य से कहीं बाहर जा रहे थे।

रास्ते में जब भी कोई तेज हवा का झोंका आता तो उन्हें उड़ा कर ले जाता इसीलिए दोनों भाइयों ने अपने आप को दोनों घोड़ों से बांध लिया।
तभी थोड़ी देर बाद बाली कहता है भाई मुझे बहुत तेज भूख लग रही है इतनी देर तक तो मैं कभी भूखा नहीं रहा, लगता है जैसे भूख से मर जाऊंगा कुछ दूर चलने के बाद दोनों भाइयों को एक आम का बाग दिखाई दिया

बाग़ के चारों तरफ कटीले तार लगे थे और वहां पर लिखा था बाग से आम तोड़ना मना है लेकिन दोनों भाई अपने ऊपर नियंत्रण नहीं रख पाए और बाग़ में घुसकर आम खाने लगे, तभी बाग़ का रखवाला वहां आ गया और कहने लगा

“तुम दोनों की आम तोड़ने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हें इसका दंड मिलेगा तभी गोपाल कहने लगा तुम हम से मुकाबला करोगे तुम तो हमारा एक मुक्का भी सहन नहीं कर सकते हो गोपाल ने रखवाले को मुक्का मारा उससे रखवाले को कुछ हुआ ही नहीं!

रखवाला बोलने लगा तुम्हारा हाथ तो कबूतर की पंखुड़ी के जैसा है इसमें तो जान भी नहीं है तब दोनों भाइयों को एहसास हुआ कि अब वह पूरी तरह भारहीन हो चुके हैं इसलिए उनका शरीर दूसरों को चोट नहीं पहुंचा पा रहा!

अब गोपाल उस रखवाले से बोलने लगा हमें माफ कर दो हमें बहुत जोरों की भूख लग रही थी इसीलिए हमने आम तोड़ लिए तभी रखवाला बोला यहां माफी नहीं मिलती यहां केवल दंड मिलता है, और रखवाले ने दोनों भाइयों को डंडे से बहुत मारा,

अब दोनों भाइयों को अपने कहे पर बहुत शर्मिंदगी होने लगी थोड़ा दूर आगे जाने पर उन दोनों का प्यास से गला सूखने लगा वे एक कुएं के पास गए और पानी निकालने की कोशिश करने लगे लेकिन उनके भारहीन हाथ रस्सी से कुएं का पानी खींच ही नहीं पा रहे थे

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तभी वह बोलने लगे कोई हमारी मदद करो कोई हमें पानी पिला दो लेकिन वहां कोई भी नहीं आया और इसी तरह भूखे प्यासे कई दिन तक भटकने के बाद दोनों भाई नागासेन फकीर के पास पहुंच गए

और फकीर के पैरों में गिर पड़े और बोले “हमें माफ कर दीजिए हम ने आप पर और अपने राज्य के लोगों पर बहुत जुल्म किए हम दोनों को अपनी ताकत पर बहुत घमंड था लेकिन आज से कभी भी अपनी ताकत पर घमंड नहीं करेंगे कृपया हमें पहले जैसा बना दीजिए!

तभी फकीर नागासेन बोला लगता है तुम्हें अपनी गलती का एहसास हो चुका है, कोई कमजोर हो या ताकतवर धरती पर जीने का अधिकार सभी को है जो लोग ताकत के नशे में अंधे हो जाते हैं उन्हें अपनी करनी का फल भुगतना पड़ता है!

फकीर ने दोनों भाइयों को उनका वजन लौटा दिया दोनों भाई जब अपने राज्य लौटे तो उन्होंने सबसे पहले काले पपीते देने वाला पेड़ काट कर फेंक दिया और फिर वह विनम्रता के साथ राज्य में रहने लगे।

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