Best 3 Short Motivational Stories in Hindi | Motivational Hindi Story

नमस्कार, आज हम आपके लिए कुछ ऐसी Motivational Stories in Hindi में लेकर आए हैं जो आपको काफी पसंद आएंगी।

कहानियां पढ़ना हर किसी को पसंद है क्योंकि कहानियों से हमें कुछ सीखने को मिलता है और कहानियों को पढ़कर हमें खुशी महसूस होती है हमने इस पोस्ट में Best 5 Motivational Short Stories Share करी हैं, जो शायद आपको काफी पसंद आएंगी और इन Motivational Hindi Story से आपको कुछ सीखने को भी मिलेगा।

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व्यक्ति की अच्छी सोच ही उसे महान बनाती है | Hindi Story

बहुत समय पहले की बात है माधोपुर नामक गांव में एक राजा हुआ करते थे, उन्होंने एक विद्वान के बारे में काफी चर्चाएँ सुनी थी इसलिए वह उससे मिलना चाहते थे। एक दिन उन्होंने उस विद्वान से मिलने की योजना बनायीं और उससे मिलने चके गए!

जब राजा विद्वान से मिले तो उन्होंने उससे पूछा कि क्या “इस दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति है जो बहुत महान हो लेकिन उसे दुनिया वाले नहीं जानते हो?”

यह बात सुनकर विद्वान ने राजा से विनम्र भाव में मुस्कुराते हुए कहा “हम दुनिया के ज्यादातर महान लोगों को नहीं जानते हैं। इस दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो महान लोगों से भी कई गुना महान हैं।”

राजा ने थोड़ा चिंतित होकर उस विद्वान से पूछा “ऐसा कैसे संभव है।”

विद्वान ने कहा, मैं आपको ऐसे कई व्यक्तियों से मिलवा सकता हूं जिन्हें देखकर आपको मेरी बात पर विश्वास हो जाएगा ।

राजा ने विद्वान से कहा चलिए फिर मुझे उनसे मिलवाइए अगर धरती पर ऐसे लोग हैं तो मुझे उनसे मिलकर काफी ज्यादा खुशी होगी।

विद्वान राजा को लेकर एक गांव की ओर चल पड़े कुछ दूर चलने के बाद रास्ते में एक पेड़ के नीचे एक बूढ़ा आदमी उनको मिला उस बूढ़े आदमी के पास पानी का एक घड़ा और कुछ रोटियां थी।

राजा और विद्वान ने उस बूढ़े आदमी से रोटी मांग कर खाई और पानी पिया। उसके बाद जब राजा उस बूढ़े आदमी को रोटी के दाम देने लगा दो वह बूढ़ा आदमी बोला “महोदय में कोई दुकानदार नहीं हूं मैं बस वही कर रहा हूं जो मैं इस उम्र में करने योग्य हूं।”

यह बात सुनकर विद्वान ने राजा को इशारा करते हुए कहा देखिए राजन इस बूढ़े आदमी की इतनी अच्छी सोच है इसे महान बनाती है।

यह देखकर राजा को काफी प्रसन्नता हुई और उन्होंने बूढ़े आदमी को कुछ सोने के सिक्के उपहार स्वरूप प्रदान किए।

इसके बाद वह वहां से चल पड़े और गांव के अंदर प्रवेश किया, वहां चलकर उन्हें एक विद्यालय दिखाई दिया विद्यालय में वह एक शिक्षक से मिले।

शिक्षक से मिलकर राजा ने पूछा आप इतने विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं तो आप को कितनी तनख्वाह मिलती है, यह बात सुनकर शिक्षक ने मुस्कुराते हुए कहा महाराज मैं तनख्वाह के लिए नहीं पढ़ा रहा हूं यहां कोई शिक्षक नहीं था और सभी विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा था इस कारण में उन्हें मुफ्त में शिक्षा देने इस विद्यालय में आता हूं।

यह बात सुनकर विद्वान ने राजा से कहा महाराज दूसरों के लिए जीने वाला व्यक्ति ही सबसे महान होता है।

सीख : – जीवन में हमेशा हमें केवल अपने बारे में ही नहीं बल्कि दूसरों के बारे में भी सोचना चाहिए। हमें कभी भी यह पता नहीं होता है कि सामने वाला व्यक्ति किस मुसीबत में हो सकता है इसलिए सोचिए समझिए और उस व्यक्ति से बात कीजिए यदि आपको लगता है कि मैं उस व्यक्ति की मदद कर सकता हूं तो अवश्य ही आगे आइए और मदद कीजिए।

हमारी एक छोटी सी मदद से किसी के जीवन में खुशियां आ सकती हैं इसलिए प्रयास कीजिए अगर आपके कारण किसी के जीवन में खुशियां आ सकती हैं तो यह आपके लिए सौभाग्य की बात है।

आखिरी प्रयास | Hindi Story

Motivational Story in Hindi : बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक राजा हुआ करता था जहां केवल उसका ही शासन था एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी व्यक्ति आया और उस व्यक्ति ने राजा को एक बहुत सुंदर पत्थर उपहार के रूप में प्रदान किया।

जब राजा ने उस पत्थर को देखा तो वह काफी प्रसन्न हुआ उसने उस पत्थर पर भगवान विष्णु की प्रतिमा का निर्माण करके उसे गांव के मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया। उस प्रतिमा निर्माण का कार्य राजा ने वहां के महामंत्री को सौंप दिया।

अब महामंत्री का कार्य था कि वह गांव के ऐसे सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास जाए जो उस पत्थर पर भगवान विष्णु की सबसे अच्छी प्रतिमा बना सके वह गांव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास पहुंचा।

महामंत्री मूर्तिकार को पत्थर देते हुए बोला महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं 7 दिन के भीतर इस पत्थर पर भगवान विष्णु की प्रतिमा तैयार करके राज महल पहुंचा देना तुम्हें 50 स्वर्ण मुद्राएं प्रदान की जाएंगी।

मूर्तिकार 50 स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर काफी खुश हो गया और उसने प्रतिमा बनाने के लिए अपने औजार निकाले और कार्य प्रारंभ कर दिया।

उसने अपने औजारों में से हथोड़ा निकाला और पत्थर को तोड़ने लगा मूर्तिकार ने पत्थर पर हथौड़े के कई वार किए किंतु पत्थर पर एक खरोच भी नहीं लगी और वह पत्थर जैसा था वैसा ही रहा।

उस मूर्तिकार ने लगभग 100 बार उस पत्थर को तोड़ने का प्रयास किया लेकिन वह पत्थर जैसे का तैसा ही रहा।

अब मूर्तिकार ने आखरी बार पत्थर तोड़ने के लिए हथोड़ा उठाया लेकिन उसने यह सोच कर हथौड़े से हाथ पीछे खींच लिया कि जब 100 बार हथोड़ा मारने से पत्थर नहीं टूटा तो अब क्या टूटेगा।

अब वह मूर्तिकार पत्थर लेकर वापस महामंत्री के पास पहुंचा और उसने महामंत्री से कहा कि इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है इसे भगवान विष्णु की प्रतिमा नहीं बनाई जा सकती और उसने वहां पत्थर महामंत्री को वापस कर दिया।

महामंत्री को राजा के द्वारा दिया गया आदेश हर हाल में पूरा करना था इसलिए उसने गांव के एक साधारण मूर्तिकार को भगवान विष्णु की प्रतिमा बनाने करने के लिए वह पत्थर सौंप दिया।

लेकिन इस बार महामंत्री वहां से गया नहीं और उसने उस मूर्तिकार से कहा की तुम मेरे ही सामने इस पत्थर को तोड़ो जैसे ही उस मूर्तिकार ने हथौड़े से उस पत्थर पर प्रहार किया वह पत्थर एक बार में ही टूट गया।

वह पत्थर इसलिए टूटा क्योंकि पहले वाले मूर्तिकार ने उस पर हथौड़े से 100 वार पहले से ही कर रखे थे जिससे वह पत्थर अंदर से टूट चुका था और उसे केवल कुछ अंतिम वार की जरूरत थी जो पहले वाले मूर्तिकार ने नहीं किया।

उसके बाद मूर्तिकार उस पत्थर पर प्रतिमा बनाने में लग गया यह देख कर महामंत्री मुस्कुराया और वह सोचने लगा कि अगर पहले मूर्तिकार ने एक अंतिम प्रयास किया होता तो वह उस पत्थर को तोड़ने में सफल हो जाता। और उसे 50 स्वर्ण मुद्राएं भी मिल जाती।

सीख :- जैसा कि आपने कहानी मैं जाना कि अगर पहला मूर्तिकार केवल एक प्रयास और कर लेता तो वह अपने कार्य में सफल हो जाता और साथ ही 50 स्वर्ण मुद्राओं का हकदार भी होता।

लेकिन वहां केवल अपने एक प्रयास से चूक गया और उसे कुछ भी हासिल नहीं हुआ। किसी कार्य में बार-बार असफल होने से उस कार्य को ना छोड़े आपका एक और प्रयास आपको उस कार्य में सफल बना सकता है।

कई बार ऐसा होता है कि हम जिस कार्य को कर रहे होते हैं मुस्कान में बार-बार असफल हो जाते हैं लेकिन क्या पता एक बार और प्रयास कर लेने से हमें उस कार्य में सफलता मिल जाए।

लालच का कोई अंत नहीं | Hindi Story

एक राजा का जन्मदिन था जब वह सुबह घूमने निकला तो उसने तय किया कि रास्ते में मिलने वाले पहले व्यक्ति को मैं आज पूरी तरह खुश एवं संतुष्ट कर दूंगा।

उसे रास्ते में एक भिखारी मिला भिखारी ने राजा से भीख मांगी तो राजा ने भिखारी की तरफ एक तांबे का सिक्का उछाल दिया लेकिन सिक्का भिखारी के हाथ से छूटकर नाली में जा गिरा।

अब भिखारी उस तांबे के सिक्के को नाली में हाथ डालकर ढूंढने लगा, राजा ने उसे अपने पास बुलाया और दूसरा तांबे का सिक्का दिया भिखारी ने खुश होकर वह सिक्का अपनी जेब में रख लिया फिर वापस जाकर वहां इस सिक्के को नाली में ढूंढने लगा।

राजा को लगा कि भिखारी बहुत गरीब है उसने उस भिखारी को वापस बुलाया और एक और चांदी का सिक्का दिया भिखारी ने राजा की जय जयकार करते हुए वह चांदी का सिक्का भी अपने पास रख लिया और वह सिक्का रखने के बाद वापस नाली में तांबे का सिक्का ढूंढने लगा।

इन्हें भी जाने :

यह देखकर राजा ने उसे वापस बुलाया और अब भिखारी को एक सोने का सिक्का दे दिया भिखारी के खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उसने उसे भी रख लिया फिर वह वापस जाकर नाली में गिरे सिक्के को ढूंढने लगा।

यह देखकर राजा को बहुत बुरा लगा अब उसे अपने द्वारा तय की गई बात याद आ गई कि वह पहले मिलने वाले व्यक्ति को पूरी तरह से खुश एवं संतुष्ट कर देगा उसने भिखारी को वापस बुलाया और कहा मैं तुम्हें अपना आधार आज पाठ देता हूं अब तुम खुश और संतुष्ट हो जाओ।

राजा की यह बात सुनकर भिखारी बोला महाराज में खुश और संतुष्ट तभी हो सकूंगा जब नाली में गिरा हुआ तांबे का सिक्का मुझे मिल जाएगा।

सीख :- हमारा जीवन भी उस भिखारी जैसा ही है हमें परमात्मा ने मानव रूपी अनमोल खजाना दिया है लेकिन हम उसे भूल कर संसार रूपी नाले में तांबे के सिक्के निकालने के लिए जीवन गांव आ रहे हैं।

अगर हम इस अनमोल मानव जीवन का सही इस्तेमाल करें तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा।

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