क्या होता है सूर्य नमस्कार और सूर्य नमस्कार मंत्र | Surya Namaskar in Hindi

Surya Namaskar in Hindi : आपने Surya Namaskar के बारे में अवश्य सुना होगा या आप भी सूर्य नमस्कार करते होंगे, सूर्य नमस्कार का सबसे बड़ा फायदा यह है कि, यदि आप नियमित रूप से सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते हैं तो आपका शरीर स्वस्थ और सभी रोगों से मुक्त हो जाता है।

Surya Namaskar हर एक व्यक्ति चाहे वह पुरुष, स्त्री, बच्चे या फिर वृद्ध व्यक्ति ही क्यों ना हो सूर्य नमस्कार सभी के लिए काफी उपयोगी और लाभकारी है। चलिए सूर्य नमस्कार के बारे में विस्तार से जानते हैं।

Surya Namaskar क्या है | Surya Namaskar in Hindi

Surya Namaskar एक ऐसा योगासन है, जिसका यदि आप नियमित रूप से अभ्यास करते हैं तो यह अकेला ही संपूर्ण योग और व्यायाम का लाभ पहुंचाने के लिए काफी है।

सूर्य नमस्कार को सभी योगासनों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है इसका नियमित रूप से अभ्यास करने से व्यक्ति का शरीर स्वस्थ, सभी रोगों से मुक्त और तेजस्वी हो जाता है।

ऐसा माना जाता है कि सूर्य नमस्कार करते समय हमारे शरीर को ब्रह्मांड से ऊर्जा मिलती है जिससे हमारा शरीर मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ हो जाता है।

प्राचीन काल में ऋषि मुनि सूर्य की पूजा अर्चना करते थे क्योंकि सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है सूर्य से हमें वह ऊर्जा मिलती है जो अपने आप में अनंत है। सूर्य नमस्कार का मतलब है सूर्य को नमन करना

सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से आपको एक साथ 12 योगासनों का लाभ मिलता है इसलिए सूर्य नमस्कार को सर्वश्रेष्ठ योगासन माना गया है।

सूर्य नमस्कार का अभ्यास सुबह सूर्योदय के समय खाली पेट किया जाता है आप इसे ऐसी जगह करें जहां आपको ताजा और खुली हवा मिले।

सूर्य नमस्कार करने के फायदे :

Surya Namaskar के केवल एक या दो फायदे नहीं बल्कि अनेक फायदे हैं, अगर आप नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करेंगे तो आपको यह फायदे आपके अंदर महसूस होने लगेंगे।

  • सूर्य नमस्कार करने से आपको वजन कम करने में मदद मिलती है।
  • सूर्य नमस्कार करने से आप शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होने लगते हैं।
  • सूर्य नमस्कार करने से आपके भूख और पाचन में सुधार होने लगता है।
  • सूर्य नमस्कार कब्ज की समस्या को ठीक करने में सहायक है।
  • सूर्य नमस्कार करने से दिमाग चुस्त-दुरुस्त और शांत रहता है।
  • सूर्य नमस्कार प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
  • सूर्य नमस्कार करने से संपूर्ण शरीर में रक्त के परिसंचरण में सुधार होता है।
  • सूर्य नमस्कार का लाभ हमारे शरीर के सभी हिस्सों हृदय, लीवर, आंत, छाती, गला, पेट आदि को होता है।
  • सूर्य नमस्कार से शरीर की सभी प्रणालियां पाचन, प्रजनन, श्वसन, तंत्रिका जैसी ग्रंथिया संतुलित रहती है।
  • सूर्य नमस्कार से Vitamin–D मिलती है, जो हमारी हड्डियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है, इससे हमारे शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं।
  • नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
  • सूर्य नमस्कार करने से शरीर में खून का प्रवाह यानी खून का बहना तेज हो जाता है जिससे ब्लड प्रेशर की बीमारी में आराम मिलता है।
  • सूर्य नमस्कार का अभ्यास करके हम अपने दिमाग को पूर्ण रूप से नियंत्रित करने में सक्षम हो सकते हैं इससे हम अपने क्रोध पर पूरी तरह नियंत्रण रख सकते हैं।
  • सूर्य नमस्कार से किसी भी प्रकार के त्वचा रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • सूर्य नमस्कार से मन की एकाग्रता बढ़ती है और हमारा मन एक विशेष प्रकार की ऊर्जा को महसूस करता है।
  • सूर्य नमस्कार से शरीर की सभी पाचन संबंधी समस्याएं अपच, कब्ज, बदहजमी, भूख ना लगना तथा पेट में गैस जैसी समस्याएं दूर होने लगती है।
  • नियमित रूप से सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से चिड़चिड़ापन, मानसिक तनाव, क्रोध और भय के निवारण में मदद मिलती है।
  • सूर्य नमस्कार करने से हमारी आत्मशक्ति एवं स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है यदि आप नियमित रूप से सूर्य नमस्कार का अभ्यास करेंगे तो आप इसे अवश्य ही महसूस करेंगे।
  • सूर्य नमस्कार करने से हमारे शरीर के लगभग सभी रोग दूर होने लगते हैं और हम अपने अंदर एक विशेष ऊर्जा का अनुभव करते हैं। सूर्य नमस्कार से हमारा शरीर तरोताजा एवं ऊर्जा से भरपूर रहता है।

सूर्य नमस्कार आसन :

Surya Namaskar में 12 आसन होते हैं इन 12 आसनों का हमारे शरीर में बहुत बड़ा महत्व है चलिए वह 12 आसन कौन-कौन से हैं इसके बारे में जानते हैं—

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1. प्रणामासन या प्रणाम आसन

2. हस्त उत्तानासन

3. उत्तानासन

4. अश्व संचालनासन

5. चतुरंग दंडासन

6. अष्टांग नमस्कार

7. भुंजगासन

8. अधोमुक्त श्वानासन / पर्वतासन

9. अश्व संचालनासन

10. उत्तानासन

11. हस्त उत्तानासन

12. प्रणामासन

सूर्य नमस्कार कैसे करते हैं :

सूर्य नमस्कार का अभ्यास बारह आसनों के उपयोग से किया जाता है। इन 12 आसनों का लाभ हमारे शरीर के सभी अंगों को होता है।

1. प्रणामासन : प्रणाम आसन करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाइए। अब अपने दोनों हाथ जोड़िए (जिस प्रकार आप प्रार्थना करते हैं) इसके बाद अपनी आंखों को बंद करें और अंदर की तरफ सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर करें और सांस निकालते हुए पुनः अपने हाथों को छाती तक लेकर आएं।

प्रणामासन के फायदे – प्रणाम आसन से शरीर को शांति अथवा विश्राम मिलता है एवं एकाग्रता बनी रहती है।

2. हस्त उत्तानासन : सबसे पहले एक गहरी सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को धीरे – धीरे कानों से चिपकाते हुए प्रणाम की अवस्था में ऊपर की ओर लेकर जाएं, और अपने पूरे शरीर को ऊपर की ओर खींचिए और अपने हाथों को पीछे की तरफ ले जाने की कोशिश कीजिए।

हस्त उत्तानासन के फायदे – यह आसन हमारे शरीर के ऊपरी हिस्से, निचले हिस्से, कंधे, गर्दन तथा छाती के लिए काफी लाभदायक है।

3. उत्तानासन : इस आसन में अपनी सांस को धीरे – धीरे बाहर निकालते हुए अपने शरीर को आगे की तरफ झुकाएं और अपने हाथों को पैरों के पंजों के पास रखिए या अपने पैरों को पकड़िए।

उत्तानासन के फायदे – इस आसन से हमारी पाचन क्रिया मजबूत होती है और शरीर में लचीलापन आता है।

4. अश्व संचालनासन : इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाइये। अब अपने दाहिने पैर को पीछे कीजिए और उस पैर के घुटने से जमीन को छुएं। अपनी छाती को आगे की ओर तथा अपनी गर्दन को पीछे की ओर झुकाने की कोशिश करें। ध्यान रखें आप के दाहिने पैर का पंजा खड़ा होना चाहिए। इस स्थिति में कुछ समय तक रुकें।

अश्व संचालनासन के फायदे – इस आसन को करने से यकृत को काफी लाभ मिलता है और उनके कार्य में सुधार होता है साथ ही घुटनों में मजबूती आती है।

5. चतुरंग दंडासन : इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सांस छोड़ें और अपने दाएं पैर को पीछे ले जाएं उसके बाद बाएं पैर को पीछे ले जाए। अपने दोनों हाथों को नीचे जमीन पर रखें और अपने पूरे शरीर को सीधा रखें और अपनी दृष्टि को नाक पर केंद्रित करें।

चतुरंग दंडासन के फायदे – इस आसन को करने से मस्तिष्क की कोशिकाओं को शांत करने में सहायता मिलती है और मांसपेशियों तथा रीढ़ की हड्डियों को मजबूती प्राप्त होती है।

6. अष्टांग नमस्कार : इस आसन को करने के लिए सबसे पहले एक गहरी सांस लेते हुए जमीन की तरफ मुंह करके लेट जाइए और अपने घुटने छाती और माथे से पृथ्वी को छुएं। कुछ देर तक इस अवस्था में रहें।

अष्टांग नमस्कार के फायदे – यह आसन हृदय के लिए बेहद फायदेमंद है, यह रक्त के प्रवाह को भी बेहतर बनाता है।

7. भुंजगासन : इस आसन को करने के लिए अपनी हथेलियों को जमीन पर रखें अब अपने सिर और ऊपरी शरीर को हाथों की मदद से धीरे – धीरे जितना हो सके ऊपर आसमान की ओर झुकाएं।

भुंजगासन करने के फायदे – इस आसन को करने से कंधा मजबूत होता है और शरीर में लचीलापन आता है।

8. अधोमुक्त स्वानासन / पर्वतासन : इस आसन के नाम से ही आपको Idea मिल जाएगा कि आपको अपने शरीर को पर्वत कि स्थिति में लेकर आना है अपने पैरों को जमीन पर सीधा रखिए तथा कूल्हों को ऊपर की ओर उठाइए। अपने कंधे को सीधा रखें और अपने सिर को अंदर की तरफ रखें। इस आसन में आपके पूरे शरीर का वजन आपके हाथों तथा पैरों पर होता है।

अधोमुक्त स्वानासन / पर्वतासन के फायदे – इस आसन से रक्त परिसंचरण में सुधार होता है और घुटने तथा जांघ मजबूत होते हैं।

9. अश्व संचालनासन : इस आसन को करने के लिए धीरे-धीरे सांस लें और अपने बाएं पैर को पीछे ले जाएं, अपनी छाती को आगे की ओर खींचने का प्रयास करें और गर्दन को पीछे की ओर जितना हो सके धीरे-धीरे उठाएं। पैर के पंजों को खड़ा रखें, कुछ समय तक इस स्थिति में रहें।

अश्व संचालनासन के फायदे – यह आसन पैर, घुटने तथा यकृत को मजबूती प्रदान करता है।

10. उत्तानासन : तीसरे नंबर के आसन को फिर से किया जाता है। इस आसन में अपनी सांस को धीरे – धीरे बाहर निकालते हुए अपने शरीर को आगे की तरफ झुकाएं और अपने हाथों को पैरों के पंजों के पास रखिए या अपने पैरों को पकड़िए।

11. हस्त उत्तानासन : दूसरे नंबर के आसन को पुनः किया जाता है सबसे पहले एक गहरी सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को धीरे – धीरे कानों से चिपकाते हुए प्रणाम की अवस्था में ऊपर की ओर लेकर जाएं, और अपने पूरे शरीर को ऊपर की ओर खींचिए और अपने हाथों को पीछे की तरफ ले जाने की कोशिश कीजिए।

12. प्रणामासन : अंत में पहले आसन को पुनः दोहराया जाता है। प्रणाम आसन करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाइए। अब अपने दोनों हाथ जोड़िए (जिस प्रकार आप प्रार्थना करते हैं) इसके बाद अपनी आंखों को बंद करें और अंदर की तरफ सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर करें और सांस निकालते हुए पुनः अपने हाथों को छाती तक लेकर आएं।

इन सभी आसनों में से किसी आसन को समझने में यदि आपको कोई परेशानी हो रही है तो आप उसे ऊपर प्रदर्शित Image में देखकर समझ सकते हैं!

इन सभी 12 आसनों को (Surya Namaskar Steps in Hindi) को नियमित रूप से कीजिए कुछ समय बाद आपको इनके परिणाम भी देखने को मिलने लगेंगे और आप अपने अंदर एक अलग ही ऊर्जा का अनुभव करेंगे।

सूर्य नमस्कार करने का सही समय :

सुबह 6:00 बजे सूर्योदय के समय Surya Namaskar करना सबसे उचित समय होता है इस समय शरीर पूरी तरह ऊर्जा से भरपूर होता है।

सूर्य नमस्कार करने से पहले भोजन ना करें। सूर्य नमस्कार खाली पेट किया जाता है। लेकिन आप सूर्य नमस्कार करने से 15 से 20 मिनट पहले पानी पी सकते हैं सुबह पानी पीना काफी लाभदायक माना जाता है।

नियमित रूप से प्रतिदिन सूर्य नमस्कार का अभ्यास अवश्य करें इससे शरीर ऊर्जावान बना रहता है एवं मस्तिष्क पूर्ण रूप से काम करता है।

ध्यान दीजिए सूर्य नमस्कार सूर्य की तरफ देखकर ही करें।

सूर्य नमस्कार मंत्र | Surya Namaskar Mantra

ॐ मित्राय नमः
ॐ रवये नमः
ॐ सूर्याय नमः
ॐ भानवे नमः
ॐ खगाय नमः
ॐ पूष्णे नमः
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
ॐ मरीचये नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ सवित्रे नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ श्री सबित्रू सुर्यनारायणाय नमः

सूर्य नमस्कार मंत्र का अर्थ :

1.ॐ मित्राय नमः का अर्थ है “सबके मित्र को प्रणाम” सूर्य नमस्कार करते समय इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है इसमें जीवन के समस्त स्रोतों का नमन किया जाता है।

सूर्य हमारे पूरे ब्रह्मांड का मित्र है क्योंकि इस पृथ्वी पर हमारे अस्तित्व के लिए ऊर्जा ताप एवं असीम प्रकाश की आवश्यकता है।

2. ॐ रवये नमः का अर्थ है “प्रकाशवान को प्रणाम” इस मंत्र में जो स्वयं प्रकाश वान है एवं जो संपूर्ण जीवधारियों को दिव्य आशीष प्रदान करता है उसे प्रणाम किया जाता है।

3. ॐ सूर्याय नमः का अर्थ है “क्रियाओं के प्रेरक को प्रणाम” इस मंत्र में सूर्य को भगवान के रूप में अत्यधिक सक्रिय एवं सुखदाई माना गया है। सभी देवताओं में सूर्य का स्थान सर्वोत्तम है।

4. ॐ भानवे नमः का अर्थ है “प्रदिप्त होने वाले को प्रणाम” सूर्य को ब्रह्मांड में एक गुरु का रूप माना गया है। गुरु हमारे भ्रांतियों के अंधकार को दूर करते हैं।

5. ॐ खगाय नमः का अर्थ है “आकाशगामी को प्रणाम” प्राचीन काल से आज तक समय का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आसमान में सूर्य की गति को ही आधार माना गया है।

6. ॐ पूष्णे नमः का अर्थ है “पोषक को प्रणाम” सूर्य हमें पिता की तरह प्रकाश, शक्ति एवं जीवन देकर हमारा पालन पोषण करता है। इस मंत्र में हम सूर्य से यह आशा करते हैं कि वह हमें मानसिक आध्यात्मिक एवं शारीरिक शक्ति प्रदान करें।

7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः का अर्थ है “स्वर्णिम विश्वात्मा को प्रणाम” पूरा ब्रह्मांड प्रकट होने से पहले अंतर्निहित अवस्था में हिरण्यगर्भ के अंदर निहित रहता है।

यानी समस्त जीवन सूर्य में मौजूद है। इस मंत्र में हम सूर्य से प्रार्थना करते हैं कि हममें रचनात्मकता का उदय हो।

8. ॐ मरीचये नमः का अर्थ है “सूर्य रश्मियों को प्रणाम” मरीच, इसका अर्थ मृग मरीचिका भी होता है मरीच ब्रह्मापुत्रों में से एक हैं।

जिस तरह एक प्यासा व्यक्ति मरुस्थल में मरीचिकाओ के जाल में फंसकर पानी के लिए मूर्खों की तरह इधर-उधर दौड़ता है हम जीवन भर सत्य की खोज में उसी तरह भटकते रहते हैं।

इस मंत्र में हम यह प्रार्थना करते हैं कि वह हमें सत्य एवं असत्य के अंतर को समझा सकें एवं सच्चे ज्ञान तथा विवेक प्रदान करें।

9. ॐ आदित्याय नमः का अर्थ है “अदिति – सुत को प्रणाम” इस मंत्र में हम उस अनंत विस्वजननी को प्रणाम करते हैं जिससे सभी शक्तियां नि:सृत हुई हैं।

10. ॐ सवित्रे नमः का अर्थ है “सूर्य की उद्दीपन शक्ति को प्रणाम” सवित्री उगते मनुष्य को जगाता है और उसे क्रियाशील बनाता है यह सूर्य का प्रतिनिधि है।

इस मंत्र में सूर्य की जीवनदाई शक्ति को प्राप्त करने के लिए हम सवित्री को प्रणाम करते हैं।

11. ॐ अर्काय नमः का अर्थ है “प्रशंसनीय को प्रणाम” सूर्य संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्तियों का प्रमुख स्रोत है हम इस मंत्र में हमारे जीवन में सूर्य के महत्व के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं।

12. ॐ भास्कराय नमः का अर्थ है “आत्मज्ञान प्रेरक को प्रणाम” इस मंत्र में सूर्य से यह प्रार्थना की जाती है कि वह हमें सही मार्ग दिखाएं एवं अपने प्रकाश से हमारा जीवन प्रकाशित करें।

सूर्य नमस्कार करते समय Surya Namaskar Mantra का उच्चारण करने का प्रयास करें इससे एकाग्रता बनेगी और आपका मस्तिष्क सही दिशा में कार्य करेगा!

अंतिम शब्द :

हमारा शरीर ईश्वर द्वारा दिया गया एक अनमोल उपहार है इसे स्वस्थ रखें और इसका उपयोग सही कार्य के लिए करें मनुष्य में हर वो शक्ति है जो पूरे ब्रह्माण्ड में बदलाव लाने के लिए पर्याप्त है इसलिए स्वस्थ रहें और अच्छे रहें।

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