नमस्कार, आज हम भूतकाल से चली आ रही पत्रों की एक अजीबो-गरीब दुनिया के बारे में जानने वाले हैं, काफी समय पहले से ही पत्रों का चलन चलता आ रहा है और उसकी उपयोगिता हमेशा से ही बनी रही है।
यह हमारे लिए पूर्व समय में अपने मन के विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए काफी आसान और महत्वपूर्ण जरिया था चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
पत्र का महत्व :
पत्रों की उपयोगिता हमेशा से ही बनी रही है पत्र जो काम कर सकते हैं वह संसार का आधुनिक साधन नहीं कर सकता है पूर्व समय में जिस प्रकार का संतोष हमारे मन में पत्र को पढ़कर मिलता था आज वह संतोष फोन में SMS पढ़कर कहां मिलता है।
पत्र एक नया सिलसिला शुरू करते हैं और राजनीति साहित्य तथा कला के क्षेत्रों में अनेक प्रकार के विवाद और नई घटनाओं की जड़ भी पत्र ही होते हैं।
संसार का कोई भी कोना हो पत्रों का महत्व हर जगह एक जैसा ही है, अलग-अलग भाषाओं में पत्रों का नाम भी अलग अलग है जैसे उर्दू में इसे खत, कन्नड़ में कागद, संस्कृत में पत्र, तेलुगु में उत्तरम, तथा तमिल में कडिद कहा जाता है।
संसार का कोई भी क्षेत्र हो या साहित्य हो सभी पत्र पर ही केंद्रित है और मानव सभ्यता के विकास में इन पत्रों ने एक मुख्य भूमिका निभाई है।
पत्रों की एक खास बात यह भी है कि यह यादों को सहेजकर रखते हैं यह हमारे भावनाओं को प्रकट करने का एक अलग ही जरिया प्रदान करते हैं। इनमें हम अपने विचारों को पूर्ण रूप से लिख सकते हैं इसमें किसी को कोई संदेह नहीं है।
हर एक की अपनी पत्र लेखन कला है और सभी के पत्रों का अपना दायरा है। दुनियाभर में करोड़ो पत्र एक दूसरे को तलाशते हुए अनेक ठिकानों तक पहुंचते हैं जो एक रचनात्मक संदेश पहुंचाते हैं। अकेले भारत में ही डाक में सबसे ज्यादा चिट्ठियां डाली जाती हैं जो यह साबित करती है कि पत्र हमारे जीवन में कितनी अहमियत रखते हैं।
पंडित जवाहरलाल नेहरु ने सन् 1953 में सही कहा था कि हजारों सालों तक संसार का साधन केवल हरकारे (Runners) या फिर तेज घोड़े रहे हैं।
इसके बाद पहिए का निर्माण हुआ और यह पहले मानव जीवन को एक अलग ही दिशा में लेकर गए।
लेकिन रेलवे और तार से भारी बदलाव आया तार ने रेलों से भी तेज गति से संवाद पहुंचाने का सिलसिला शुरू किया और बदलते समय के साथ अब टेलीफोन वायरलेस और आगे रेडार दुनिया बदल रहा है।
काफी समय पहले से ही पत्र लेखन ने एक कला का रूप ले लिया। इन सभी गंभीरताओं को देखने के लिए, डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने के लिए कई सारे महत्वपूर्ण प्रयास भी हुए।
जो मुख्य रूप से काफी सफल रहे पत्रों का उपयोग मानव जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा है। इसने मानव जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पत्र संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पुस्तकों में पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया और पत्र लेखन की मुख्य व्यवस्थाओं को समझाने के लिए यह विषय काफी महत्वपूर्ण भी था भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में यह प्रयास चले और विश्व डाक संघ ने अपनी ओर से भी काफी प्रयास किए।
विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती थी और इसका सिलसिला सन् 1972 से शुरू किया गया।
हां, यह बात भी पूरी तरह से सही है कि खास तौर पर बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेजी से विकास के कारण पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है लेकिन देहाती दुनिया आज भी चिट्ठियों से ही चल रही है।
वर्तमान के तकनीकी युग फैक्स, ईमेल और मोबाइल ने चिट्ठियों की गति को रोक रखा है पर व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है।
अगर हम मुख्य रूप से पत्रों की बात करें और आप बारीकी से उसकी तह तक जाएं तो आपको शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति मिले जिसने कभी किसी को पत्र ना लिखा हो, या ना लिखवाया हो या फिर पत्रों का बेसब्री से इंतजार ना किया हो।
पूर्व समय में आपने कई ऐसी फिल्में देखी होंगी जिसमें सैनिक अपने परिवार वालों से बात करने के लिए पत्र लिखते थे या उनके पत्रों के आने का इंतजार करते थे वास्तव में भी यहां बिल्कुल सत्य है हमारे सैनिक तो पत्रों का जिस उत्सुकता से इंतजार करते हैं उसकी कोई मिसाल ही नहीं है।
एक दौर था जब लोग पत्रों का महीनों इंतजार करते थे पर अब वह बात नहीं रही। अब वह उत्सुकता नहीं रही और शायद अब वह खुशी भी नहीं रही।
परिवहन साधनों के विकास में दूरी बहुत घटा दी है पहले लोगों के लिए संचार का इकलौता साधन चिट्ठी ही होती थी लेकिन आज अनेक प्रकार के साधन विकसित हो चुके हैं जिसके द्वारा व्यक्ति एक दूसरे से विचार विमर्श कर सकता है आज भी देश में ऐसे लोग है जिन्होंने अपने पुरखों की चिट्ठियों को संजोकर विरासत के रूप में रखा हैं।
इनके द्वारा लिखे गए पत्र और इनके द्वारा पत्रों में की गई रचनाएं लेखकों और पत्रकारों के लिए अपने आप में एक अनुसंधान का विषय है।
अगर उस समय भी आज के जैसे संचार साधन मौजूद होते तो पंडित नेहरू जी अपनी पुत्री इंदिरा गांधी को फोन करते,लेकिन तब पिता के पुत्र पुत्री के नाम नहीं लिखे जाते जो देश के करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं।
पत्रों की मुख्यता यह है कि आप पत्रों को आसानी से सहेज कर रख सकते हैं लेकिन SMS संदेशों को आप जल्दी ही भूल जाते हैं।
क्या आप बता सकते हैं आप कितने संदेशों को सहेज कर रख सकते हैं मेरे ख्याल से तो बहुत कम? अगर वह संदेश आपके फोन में हैं फिर भी आप उसे कभी दोबारा नहीं देखते।
दुनिया के अनेक पुस्तकालयों एवं संग्रहालयों में जानी-मानी हस्तियों के पत्रों का एक अनूठा संकलन भी मौजूद है भारत में आजादी के पहले महासंग्राम के दिनों में जो कुछ अंग्रेज अफसरों ने अपने परिवार जनों को पत्र में लिखे वो आगे चलकर महत्वपूर्ण पुस्तक बन गए।
इन पत्रों ने यह साबित किया कि संग्राम कितनी जमीनी मजबूती लिए हुए था। “महात्मा गांधी इंडिया” के नाम से दुनिया भर के अनेक पत्र काफी आसानी से पहुंच जाते थे।
गांधी जी के पास देश दुनिया से काफी बड़ी संख्या में पत्र पहुंचते थे और यह बात भी काफी उत्साह देने वाली है कि पत्रों का जवाब देने के मामले मे महात्मा गांधी किसी भी पत्र का जवाब देने में बिल्कुल भी आलस नहीं करते थे जब भी उन्हें कोई नया पत्र मिलता उसका जवाब वह उसी समय लिखने लगते।
और जब लिखते लिखते उनका दाहिना हाथ दर्द करने लगता था तो वह बाएं हाथ से लिखने में जुट जाते थे पत्र भेजने वाले लोग उन पत्रों को किसी प्रशस्ति पत्र से कम नहीं मानते थे और कई लोगों ने तो उन पत्रों को फ्रेम करा कर रख लिया है यही है पत्रों का जादू।
पत्रों के आधार पर ही दुनिया में अनेक प्रकार के भाषाओं में किताबें लिखी जा चुकी हैं। पत्रों की एक खास बात है कि यह लोगों को जोड़ने का काम करता है घर-घर तक इसकी एक विशेष पहुंच है संसार के तमाम उन्नत साधनों के बाद भी चिट्ठी की हैसियत अभी भी बरकरार है।
दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चूल्हे मनीआर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं गांव और गरीब बस्तियों में मनी ऑर्डर लेकर आने वाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा और माना जाता है पूर्व समय से ही पत्रों का एक विशेष महत्व मानव जीवन में रहा है और शायद ही इसका महत्व कभी कम हुआ हो।
हम यह मान सकते हैं कि तकनीकी युग के आने से इसके प्रयोग में कमी आई हो लेकिन इसका महत्व कहीं से भी कम नहीं हुआ है यह आज भी उतना ही आवश्यक है जितना पूर्व समय में हुआ करता था।
आज भी लोग अपने स्थान पर हो रही समस्याओं की शिकायत करने के लिए अपने जिला अधिकारी को पत्र लिखते हैं वह सीधे अपने जिला अधिकारी को फोन नहीं करते बल्कि पत्र द्वारा ही अपनी समस्याओं को प्रकट करते हैं।
इसलिए आप यह मान सकते हैं कि पत्रों का चलन कभी भी खत्म नहीं होने वाला यह नियमित रूप से चलता रहेगा।
Patra ka Mahatva कभी काम नहीं हो सकता, हाँ ये बात सत्य है की आज के युग में पत्रों का चलन लगभग ख़त्म ही हो गया है। पहले के समय में जहाँ व्यक्ति तक पत्र पहुँचने में महीनो लग जाते थे आज Smartphones वही काम कुछ सेकेंडों में कर दे रहे हैं।
समय तो बदल गया है लेकिन जो आनंद उस समय पत्रों के इंतजार का होता था आज वो कमी ये स्मार्टफोन कहां पूरी कर सकते हैं।😎