अपने लक्ष्य को कैसे हासिल करें | How to achieve our goal

दुनिया में हर व्यक्ति कुछ ना कुछ हासिल करना चाहता है हर किसी को कुछ ना कुछ जरूर चाहिए। हर कोई कुछ ना कुछ प्राप्त करने के लिए ही काम करता है कोई भी व्यर्थ में काम नहीं करता और शायद व्यर्थ में कोई काम करना भी नहीं चाहेगा।

एक किसान यह सोचकर अपने खेतों में काम करता है कि आने वाले समय में उसकी फसल अच्छी होगी और वह उसे बेचकर कुछ धन एकत्र कर सकेगा या फिर अपने भोजन के लिए उसे उपयोग में लाएगा। एक विद्यार्थी इसीलिए मेहनत करता है कि वह परीक्षा में अच्छे अंक ला सके और अच्छे अंको से पास हो।

एक युवा इसीलिए मेहनत करता है कि आगे उसे अच्छी नौकरी मिल सके और वह एक सफल व्यक्ति बन सके।
लेकिन फिर भी कई लोगों को यह समझ में नहीं आता है कि अब हमें क्या करना चाहिए हमें किस चीज के लिए मेहनत करनी चाहिए आखिर हमारा लक्ष्य क्या है हमें अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए तो आज हम इसी के बारे में जानने वाले हैं।

set your goal

दोस्तों अगर आप व्यर्थ कि सभी चीजों को छोड़कर अपना ध्यान केवल अपनी सफलता की ओर केंद्रित करेंगे तो आपको सब कुछ मिलेगा जो आप चाहते हैं। तो चलिए हम जानते हैं, कि हम वह कैसे हासिल कर सकते हैं जो हमें चाहिए।

निश्चित ध्येय :

सफल होने के लिए सबसे जरूरी एवं अत्यंत महत्वपूर्ण है, लक्ष्य की निश्चित्ता। हमें क्या चाहिए इसकी निश्चित और स्पष्ट जानकारी। क्योंकि उसके बिना बाकी सब कोशिशें व्यर्थ हैं।

लक्ष्य की स्पष्टता सबसे महत्वपूर्ण बात है, जो लोग सफल होते हैं, वो एक निश्चित उद्देश्य को सामने रखकर मेहनत करते हैं। आपको वास्तव में क्या चाहिए यदि यह आपको पता ही ना हो, तो आपको वह मिलेगा कैसे? निश्चित मंजिल सामने ना हो तो आप कहां जाएंगे, और फिर भी आप जाएंगे तो पहुंचेंगे कहां?

लक्ष्य कागज पर साफ-साफ लिख लेना लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में पहला कदम है। सबसे पहले आपको अपने लिए एक निश्चित लक्ष्य और इसे हासिल करने की निश्चय तारीख तय करनी है। लक्ष्य तय करना लक्ष्य प्राप्ति की शुरुआत है लक्ष्य निर्धारित होने के उपरांत लक्ष्य प्राप्ति के पागलपन से मन को भर दीजिए, अपना लक्ष्य हमेशा अपनी नजर के सामने रखिए।
उसे अपनी नजरों से दूर होने ही मत दीजिए।

Out of sight is out of mind ऐसी कहावत है, यानी कोई चीज नजर से दूर चली जाए तो आदमी उसे भूल जाता है अथवा उसकी तीव्रता कम हो जाती है और खेल सारा तीव्रता का ही है। आपका ध्येय ही आप की दुनिया बन जानी चाहिए।

ऐसे आदमी के लिए कुछ भी असंभव नहीं है जिसे पता है कि उसे क्या चाहिए। उसे हासिल क्या करना है।
असफल आदमी लक्ष्यहीन भटकता रहता है, सफल आदमी के पास निश्चित लक्ष्य होता है।

निश्चित ध्येय और हमारा मस्तिष्क :

हमेशा यह याद रखें की हमारे मस्तिष्क को हमारे ध्येय के बारे में स्पष्ट और सरल सूचनाओं की जरूरत होती है यदि हमारे सामने निश्चित ध्येय ही ना हो तो ध्येय की प्राप्ति में हमारा मस्तिष्क हमारी सहायता कैसे कर पाएगा?

संपूर्ण शक्ति तथा तीव्रता किसी निश्चित ध्येय पर केंद्रित कर और ध्येय प्राप्ति तक निरंतर मेहनत कर हम सफल होते हैं।

लक्ष्य निश्चित ना हो तो आप वैसे भी निशाना नहीं लगा सकते।

स्पष्ट और निश्चित ध्येय हो तो मनुष्य अत्यंत कठिन मार्ग पर भी प्रगति करेगा, ध्येयहीन मनुष्य मार्ग कितना ही सरल होने के बावजूद कहीं नहीं पहुंचेगा। कोई भी प्रतिकूल परिस्थिति इतनी ताकतवर नहीं है कि निश्चित ध्येय रखने वाले मनुष्य को हमेशा के लिए रोक कर रख सके।

अगर आपने अपना लक्ष्य निश्चित कर रखा है तो आपको उसे प्राप्त करने से कोई भी नहीं रोक सकता कुछ लोग ऐसे होते हैं जो थोड़ी सी बाधा आने में ही अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं और फिर उसे पाने के लिए वह कोशिश ही नहीं करते।

इच्छा :

इच्छा तीव्र हो तो राह में कोई भी बाधा आए उस बाधा को पार करने का रास्ता आपको जरूर मिलेगा।
द्वार बंद होने की चिंता नहीं सिर्फ चलते रहिए, तटस्थतापुर्वक  और निश्चिता से। मन में तीव्र इच्छा और सामने निश्चित ध्येय, कोई भी चीज आप को रोक नहीं सकती ऐसा एक भी आदमी इस दुनिया में नहीं है जो आपको आपके ध्येय की प्राप्ति से रोक सके।

मनुष्य के पास तीव्र इच्छा होना, यानी ध्येय के पीछे मनुष्य का पागल होना ऐसी चीज है, जिसके कारण मनुष्य किसी भी कठिनाई में से मार्ग निकाल सकता है। एक पुरानी कहावत है आप किस चीज की इच्छा रखते हैं उसके प्रति सावधान रहिए…. संभावना है कि वह चीज आपको मिल ही जाए

जब मनुष्य किसी चीज के पीछे दीवाना हो जाता है उस चीज को हासिल करने में उस आदमी की सहायता करने के लिए सारी सृष्टि आगे बढ़ती है। आपको लगता है कि आप हार जाएंगे तो हारने की राह देखने की जरूरत नहीं है हार तो आप पहले ही गए हैं, फिर एक बार कोशिश कर देखने के लिए लगने वाली शक्ति बचा लेना ही उचित है।

क्योंकि हारने की सोच लेकर किसी ने कभी जीत हासिल नहीं की जीतने से पहले आपको यह भरोसा होना चाहिए कि आप जीत सकते हैं, जीतने के लिए सबसे पहली जो आवश्यक योग्यता है वह है जीतने की सोच-जीतने का विश्वास। विचारों की शक्ति ऐसी चीज है उसकी गंभीरता जिसे समझ में आ गई वह कभी विचारों को यूं ही नहीं लेगा।

जो हम सोचते हैं अंत में हम वही बनते हैं इतनी आसान बात है इसलिए समझ बूझ कर विचार चुनिए, जो चाहिए सिर्फ उसी पर अपनी सोच केंद्रित कीजिए जो नहीं चाहिए उस और ध्यान ही मत दीजिए। असफलता के बारे में क्यों सोचे जब सफलता के बारे में सोचने के लिए भी उतनी ही शक्ति लगती है।

गलत सोच हमारी शक्ति छीन लेती है सही सोच हमें शक्ति प्रदान करती है विषैले विचार विषैले लोग विषैली पुस्तकें इस तरह तालिए जैसे आप विषैले सांप को टालेंगे।

सीमा :

अपनी सोच से खुद पर लादी गई सीमा को छोड़कर अन्य कोई सीमा नहीं है.. अपनी सीमा हम ही ठहराते हैं, ध्यान रखें आप क्या और कितना कर सकते हैं इसकी सीमा आप और सिर्फ आप ही तय कर सकते हैं।

वायुगतिकी (Aerodynamics) के नियमानुसार तितली को उड़ना नहीं आना चाहिए, फिर भी वह उड़ती है पता है क्यो?क्योंकि तितली को इस बात का पता ही नहीं है।

विशेषज्ञ जब घोषणा कर देते हैं कि कोई चीज की ही नहीं जा सकती तब कोई बच्चा जाता है और सीधे करके लौट आता है, पता है ऐसा क्यों होता है? ‘क्योंकि किया नहीं जा सकता’ यह उस लड़के को पता ही नहीं होता.. आप क्या कर सकते हैं अथवा क्या बन सकते हैं इसकी कोई सीमा नहीं है जो है वह आपने ही तय की हुई है।

दृष्टिकोण :

बहुत ही अच्छी कहावत है, दृष्टिकोण बदलिए दृश्य बदलेगा.. किसी भी घटना में आपको खुश करने अथवा दुखी करने की ताकत नहीं होती, कोई भी घटना हो उस घटना की ओर देखने का आपका दृष्टिकोण यह तय करता है कि उस घटना के कारण आप प्रसन्न होंगे या दुखी या कुछ भी नहीं।

किसी भी चीज को अथवा घटना को उतना ही महत्व है उतने ही कीमत प्राप्त होती है जितनी आप देते हैं, किसी घटना का अर्थ आप कैसे लगाते हैं उस पर आपकी प्रतिक्रिया निर्धारित होती है।

ध्यान रखें स्वयं को शक्ति हम स्वयं ही देते हैं, कैसी भी परिस्थिति हो आप उसे ऐसा स्वरूप दे सकते हैं कि उससे आपको शक्ति ही मिले देखने का नजरिया आप तय करते हैं किसी घटना का असर आप पर क्या हो यह घटना नहीं ठहराती आप ठहराते हैं।

विश्वास :

सफलता अथवा असफलता की शुरुआत विश्वास से ही होती है, अगर आपको विश्वास है कि आप कोई चीज कर सकते हैं अथवा आपको विश्वास है कि आप वह चीज नहीं कर सकते, दोनों में से जो भी विश्वास आपका हो वही सच साबित होगा।

आपके पास कुछ करने की सारी योग्यता होने पर भी यदि आप तय करते हैं कि मैं यह नहीं कर सकता तो वह चीज घटित करवाने वाले मस्तिष्क के सभी मार्ग आप बंद कर देते हैं, उसी तरह यदि आपको विश्वास है कि आप कोई चीज कर सकते हैं तो उस चीज को संभव बनाने के लिए आवश्यक सभी रास्ते आप खोल देते हैं। हमारे विश्वास का हमारे जीवन पर जो प्रभाव होता है वह बहुत बड़ा है।

कृति :

कार्य करने के कारण मनुष्य सफल होता है, कार्य के कारण परिणाम मिलता है, ज्ञान एक सक्ति है ऐसा आपने सुना होगा, मैंने भी सुना है, लेकिन यह अर्धसत्य है, क्योंकि ज्ञान को कार्य रूप में लाए बिना ज्ञान का क्या फायदा?

यह सुनकर कोई भी चौक सकता है, कि साधारण व्यक्ति तथा अत्यंत असाधारण व्यक्ति में अंतर सिर्फ कार्य का होता है।

अत्यंत असाधारण मनुष्य में कार्य करने की अपरिमित क्षमता होती है, याद रखें कार्य ही सब कुछ है, जब तक आप कदम नहीं उठाएंगे तब तक आप उसी जगह पर रहेंगे, जितनी जल्दी आप काम करना प्रारंभ करेंगे उतना ही शीघ्र आप अपनी मंजिल पर पहुंचेंगे।

तय कीजिए जो करना है वह तुरंत करना है, जब तक हम कुछ करेंगे नहीं तब तक हमारी हालत नहीं सुधरेगी।
जब तक आप नहीं बदलेंगे कुछ भी नहीं बदलेगा। जो आप आज कर रहे थे वही आगे भी करेंगे तो आपको वही मिलेगा जो आज तक मिलता था।
पहले कभी भी हासिल नहीं किया हुआ हासिल करने के लिए पहले कभी भी नहीं किया हुआ करना होगा।

मेहनत :

मेहनत का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। प्रकृति में न्याय है संपूर्ण न्याय। प्रकृति का न्याय कभी आधा अधूरा अथवा सनकी स्वरूप का नहीं होता। प्रकृति में निरपवाद रूप से न्याय है, यह हो सकता है कि कोई इस पर भरोसा ना करें या कोई इसे ना माने पर वास्तविकता का अस्तित्व किसी के भरोसा करने अथवा मानने पर निर्भर नहीं होता।

आपको किसी से अधिक चाहिए तो आपको उससे अधिक मेहनत करनी ही होगी। आपको आज जो मिल रहा है वह आपने कल जो बोया था उसका फल है। आपको आज जो मिल रहा है भविष्य में आपको उससे बेहतर या उससे अलग या उससे ज्यादा चाहिए तो आपने पहले जो बोया था उससे बेहतर, उससे अलग, उससे ज्यादा, आज आपको बोना पड़ेगा।

आपको जीवन में जो भी चाहिए उसकी कुछ ना कुछ कीमत है जो आपको देनी ही पड़ेगी पूरी और अग्रिम। मेहनत का विकल्प नहीं है मनुष्य के पास मेहनत की बहुत क्षमता है ऐसे लोग हैं जो सतत 12 घंटे 18 घंटे काम करते हैं निरंतर सौ 100 घंटे काम का कीर्तिमान स्थापित करने वाले लोग भी हैं। एक कहावत है आदमी थकने के उपरांत भी काफी दूर तक चल सकता है।

लगन :

लगन का स्थान दुनिया की कोई चीज नहीं ले सकती।
कोई प्रतिभा, कोई बुद्धिमानी, कोई विद्धता, कुछ नहीं।
लगन के सामने कोई खड़ा नहीं रह सकता।
कभी कभी नहीं छोड़ना.. यह सफलता की कुंजी है।

कोई बाधा सामने आने के कारण हो सकता है, आपको मुड़ कर दूसरे मुश्किल रास्ते से जाना पड़े। धूल भरे रास्ते से जाना पड़े जाना तो है ही, सिर्फ छोड़ना नहीं है ।सफल होने के लिए छोटे बड़े कारणों की वजह से पीछे हट कर नहीं चलेगा।

लक्ष्य हासिल होने तक मेहनत करते रहना होगा सफलता के मार्ग पर दूसरों से आप को अलग करने वाला एक गुण है वह यह कि बाकी लोग छोड़ रहे हैं, उस समय भी आपकी चलते रहने की क्षमता, आपकी लगे रहने की योग्यता, एक शब्द में लगन।

लगन की तुलना उस निरंतर गिरने वाले पानी से की जा सकती है जो आखिर में अति कठोर पत्थर पर भी निशान बना देता है।

सफल होने वाला छोड़ता नहीं छोड़ने वाला सफल नहीं होता।
काम पूरा होने तक काम करते रहने के लिए समय को विवश करें।

असफलता :

असफलता के भी फायदे हैं, कौन सी असफलता आपकी किस  सफलता के लिए निर्णायक सिद्ध होगी बताया नहीं जा सकता। हमारा काम है असफलता मिले तो उसे सीखे।

स्वयं में जरूरी बदलाव करें और चलते रहे, सिर्फ रुके नहीं, ऐसी लगन से ही आदमी सफल होता है।

स्पष्ट निर्णय :

स्पष्ट निर्णय लेना यह एक ऐसा कदम है, जो आपकी शक्ति को तुरंत बढ़ाता है। स्पष्ट निर्णय से मनुष्य में स्थित शक्ति जागृत हो जाती है, ध्येय निश्चित कर उसे हासिल करने की अदम्य इच्छा मनुष्य को ऐसी शक्ति प्रदान करती है कि उस के बल पर वह बाधाओं को पैरों तले कुचलता हुआ सफलता के शिखर पर पहुंच जाता है।

इतिहास हमें ऐसे लोगों के उदाहरणों से भरा पड़ा है जिन्होंने शुद्ध दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति के बल पर सामने आने वाली हर बाधाओं को पार कर सफलता प्राप्त की। सफलता की कुंजी -निर्णय लें और काम में लग जाएं।

सफलता :

सफल होना सिर्फ संभव ही नहीं बल्कि आज के युग में पहले कभी नहीं था इतना आसान है। सफलता संयोग नहीं है निश्चित ध्येय सामने रखकर उस ध्येय के प्राप्त होने तक लगन से की जाने वाली मेहनत का नतीजा है।

सफलता किसी खास योग्यता वाले अथवा प्रतिभा वाले अथवा ज्ञान वाले आदमी के लिए आरक्षित नहीं है, सफलता उस व्यक्ति की इच्छा पर, मेहनत पर और लगन पर निर्भर करती है।
जो सफल होने के लिए यानी जो चाहिए उसे प्राप्त करने के लिए कोई सीमा अथवा अंतिम तारीख नहीं है।

 मतलब किसी खास उम्र के बाद आदमी सफल नहीं हो सकता है ऐसा बिल्कुल नहीं है, सफल होना यानी आपका लक्ष्य अथवा उद्देश्य प्राप्त करना।

आज के जमाने में सफल होना इतना आसान है यह बताने का उद्देश्य यह है कि किसी आदमी के लिए सफलता संभव है या नहीं यह मुद्दा ही अब नहीं रहा।

सफलता और कुछ नहीं है कुछ बातें हैं जिन्हें इकट्ठा करने पर जो मिलता है उसे सफलता कहते हैं। वह बातें कौन सी हैं?
वे बातें हैं- निश्चित ध्येय, प्राप्ति की प्रबल इच्छा, ध्येय मिलने तक सही दिशा में चलते रहने का, डटे रहने का, नहीं छोड़ने का गुण,

 सफलता संयोग से प्राप्त नहीं होती।
सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम करना ही पड़ता है।

समय :

मान लीजिए कि बैंक में आपका ऐसा खाता है जिसमे रोज सुबह एक निश्चित राशि जमा होती है -अपने आप। मान ले ₹1000 लेकिन यह पैसे आपको उसी दिन खर्च करने होते हैं, क्योंकि शाम को आपका खाता फिर से शून्य हो जाता है।

दूसरे दिन सुबह फिर हजार रुपए आपके खाते में जमा हो जाते हैं, अपने आप। इसमें से पूरे पैसे आप काम में लाएं अथवा आधे प्रयोग करें या खर्च ही ना करें, लेकिन शाम को आपका बकाया फिर से शून्य।

अगले दिन सुबह पुनः हजार रुपये अपने आप बिना चुके। ऐसा खाता किसी का हो तो वह क्या करेगा। अधिकांश लोग क्या करेंगे? अधिकांश लोग इसकी कोशिश करेंगे कि पूरे नहीं तो ज्यादा से ज्यादा पैसे तो प्रयोग में लाए जा सके क्योंकि बची हुई रकम दूसरे दिन काम में नहीं आती.. मूलतः ऐसा खाता सबके पास होता है लेकिन पैसे का नहीं- समय का

रोज सुबह हमारे खाते में 24 घंटे जमा किए जाते हैं हम उनमें से कितने ही काम में क्यों ना लाएं, दिन के अंत तक अपने आप बकाया शून्य हो जाता है, और दूसरे दिन फिर 24 घंटे खाते में जमा हो जाते हैं। समय दौड़ रहा है समय का पूरा प्रयोग करें।

अब अपने काम में लग जाए :

अब समय आ गया है काम करने का और सफलता का यकीन के साथ करने का। जैसे मैंने आपको बीच-बीच में बताया कि कार्य जरूरी है केवल जानकारी नहीं। मैंने यह पोस्ट लिखी और आपने पढ़ी। एक तरह से यह साधारण सी बात है परंतु वर्तमान परिस्थिति में यह साधारण घटना नहीं है क्योंकि आपका यह पोस्ट पढ़ना और वह भी अंत तक यह आपके सफल होने के निर्णय का सबूत है।

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