नेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारियां Important eye information in Hindi

आज हम बात करने वाले हैं नेत्र से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में जिसे हर व्यक्ति के लिए जानना काफी जरूरी है तो चलिए इसके बारे में एक-एक करके विस्तार से जानते हैं।
तो चलिए पहले नेत्र की समंजन क्षमता के बारे में जानते हैं-

नेत्र की समंजन क्षमता

मानव नेत्र में एक प्राकृतिक लेंस होता है जिसमें अपनी फोकस दूरी को बदलने की क्षमता होती है अपने इसी गुण के कारण नेत्र लेंस दूर तथा पांच की सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना पर बना पाता है दूर तथा पास की सभी वस्तुओं को रेटिना पर फोकस करने के लिए नेत्र लेंस की क्षमता में होने वाले अधिकतम परिवर्तन को ही नेत्र की समंजन क्षमता कहते हैं एक स्वस्थ नेत्र की समंजन क्षमता 4.0 डायोप्टर होती है।

दृष्टि के लिए हमारे दो नेत्र क्यों है केवल एक ही क्यों नहीं?

हमारे शरीर में जो कुछ भी है उसका अपना ही महत्व है, प्रकृति से कोई भी ऐसी चीज ऐसी नहीं मिले जिसका हमारे शरीर को काम ना हो नेत्र भी ऐसी चीज है जो हमारे जीवन को रंगीन बना देती है, एक नेत्र के बजाय दो नेत्र होने के हमें अनेक लाभ हैं इससे हमारा दृष्टि क्षेत्र और अधिक विस्तृत हो जाता है यानी बढ़ जाता है।
 मानव के आंख का दृष्टि क्षेत्र लगभग 150° होता है जबकि दो नेताओं द्वारा यहां लगभग 180° होता है।
 वास्तव में किसी मंद प्रकाशित वस्तु के संसूचन की सामर्थ्य एक की बजाय दो संसूचको से बढ़ जाती है।
शिकार करने वाले जंतुओं के दो नेत्र उनके सिर पर विपरीत दिशाओं में स्थित होते हैं जिससे कि उन्हें अधिक से अधिक विस्तृत दृष्टि क्षेत्र प्राप्त हो सके लेकिन हमारे दोनों नेत्र सिर पर सामने की ओर स्थित होते हैं इस कारण हमारा दृष्टि क्षेत्र तो कम हो जाता है लेकिन हमें इससे भी काफी लाभ मिल जाता है कभी भी आप अपनी एक आंख को बंद कीजिए आपको पूरा संसार चपटा लगेगा।
दोनों नेत्र खोलिए आपको संसार की वस्तुओं में गहराई तथा तीसरी वीमा दिखाई देगी क्योंकि हमारे नेत्रों के बीच कुछ सेंटीमीटर का अंतर होता है इसलिए प्रत्येक नेत्र किसी वस्तु का थोड़ा सा भी प्रतिबिंब देखता है तो हमारा मस्तिष्क दोनों प्रतिबिंब का संयोजन करके एक प्रतिबिंब बना देता है।
 तो इस प्रकार अतिरिक्त सूचना का उपयोग करके हम यह बता सकते हैं कि कोई वस्तु हमारे कितने पास है या कितने दूर।
यह तो रही हमारे नेत्र की बात अब हम नेत्र के कुछ दृष्टि दोषो के बारे में जान लेते हैं।

दृष्टि दोष

आपने देखा होगा धीरे धीरे हमारे नेत्र अपनी समंजन क्षमता को खोने लगते हैं, ऐसी स्थिति में व्यक्ति वस्तुओं को आराम से और स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते और नेत्र में अपवर्तन दोषों के कारण दृष्टि धुंधली हो जाती है।
मुख्य रूप से अगर बात करें तो दृष्टि के तीन सामान्य अपवर्तन दोष होते हैं।
जिन्हें हम 1. निकट दृष्टि दोष
2. दीर्घ दृष्टि दोष (दूर दृष्टि दोष)
3. जरा-दुरदृष्टिता

निकट दृष्टि दोष –  निकट दृष्टि दोष एक ऐसा दोष होता है जिसके कारण कोई भी व्यक्ति अपने पास में रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख लेता है लेकिन एक निश्चित दूरी के बाद रखी वस्तुएं उसेे स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई देती हैं इसे ही निकट दृष्टि दोष कहते हैं।
ऐसे दोष युक्त व्यक्ति का दूर बिंदु अनंत पर ना होकर नेत्र के पास आ जाता है ऐसा व्यक्ति कुछ मीटर दूरी पर रखी वस्तुओं को ही स्पष्ट रूप से देख पाता है।
निवारण – इस दोष के निवारण के लिए व्यक्ति को अवतल लेंस का प्रयोग करना चाहिए।

दीर्घ दृष्टि दोष – इसे सामान्यतः दूर दृष्टि दोष भी कहते हैं यह ऐसा दोष होता है जिसकेे कारण व्यक्ति दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट रूप सेे देख लेता है किंतु पास में रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाता, इसे ही दीर्घ दृष्टि दोष यानी दूर दृष्टि दोष कहते हैं।

निवारण – इस दोष के निवारण के लिए व्यक्ति को उत्तल लेंस का प्रयोग करना चाहिए।

जरा–दुरदृष्टिता – व्यक्ति के आयु में वृद्धि होने के साथ साथ मानव नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है अधिकांश व्यक्तियों का निकट बिंदु दूर हट जाता है तथा संशोधक चश्मों के बिना हमें पास की आराम से तथा स्पष्ट रूप से देखनेे में कठिनाई होती है  इसी दोष को जरा–दूरदृष्टिता कहते हैं।

 
इन्हें भी जाने:
 यह दोष पक्ष्माभी पेशियों के धीरे-धीरे कमजोर होने के कारण तथा क्रिस्टलीय लेंसों के लचीलापन मैं कमी आने केेे कारण उत्पन्न होता है।
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि एक ही व्यक्ति के नेत्र में दोनों ही प्रकार के दोष (निकट दृष्टि दोष तथा दूर दृष्टि दोष) उत्पन्न हो जाते हैं।
निवारण – इस दोष का निवारण द्विफोकसी लेन्स के द्वारा किया जा सकता है
आपने नेत्र से जुड़े कुछ रोग और उसके निवारण के लिए जानकारियां प्राप्त कर ली तो चलिए अब नेत्र से जुड़ी कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियां भी जान लेते हैं।
स्वस्थ नेत्र का निकट बिंदु नेत्र में 25 सेंटीमीटर की दूरी पर स्थित होता है तथा स्वस्थ नेत्र का दूर बिंदु अनंत पर स्थित होता है।
मानव नेत्र का पक्ष्माभी पेशियों वाला अंग नेत्र लेंस की फोकस दूरी को नियंत्रित करता है।
मानव नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा परितारिका अंग के द्वारा नियंत्रित होती है।
रेटीना पीत बिंदु प्रकाश के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील होता है।

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